Tuesday, January 23, 2024

SriRama-Smaranam (श्रीराम-स्मरणम्): Sanskrit Poem by Dr. Harekrishna Meher


'SRIRAMA-SMARANAM' (Sanskrit Poem) 
By Dr. Harekrishna Meher 
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* श्रीराम-स्मरणम् * 
रचयिता : डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
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मध्ये शुभं भारत-पुण्यभूम्या 
लसत्ययोध्या नगरी सुरम्या । 
सार्धं पवित्रा सरयू-तटिन्या 
देदीप्यते राम-रसै: सुधन्या ।। (१) 
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अभूतपूर्वं भुवि राम-मन्दिरं 
सुनिर्मितं भावुक-नेत्र-सुन्दरम् । 
देशे समोदे प्रतिभाति भव्यता 
सर्वं च दिव्यं प्रतिभाति नव्यता ।। (२) 
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विराजते यत्र मनोsभिरामः 
सौम्यः प्रभु-र्बालतनुः स रामः । 
लोके प्रसन्ने सति भाव-मग्ने 
प्राणप्रतिष्ठा विहिता सुलग्ने ।। (३) 
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निर्माणे तु वैषयिकी सुविद्या 
यत्र प्रयुक्ताधुनिकाभिनन्द्या । 
विश्वे समग्रेsद्भुतमस्त्यनल्पं 
सगौरवं भारत-वास्तुशिल्पम् ।। (४) 
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वन्दे जगत्-पूजित-जानकीशं 
यद्-राम-नाम्ना त्वघमेति नाशम् । 
अस्मिन् युगे वै कलिताप-दग्धे 
भूयात् सुभद्रं  हृदये प्रबोधे ।। (५) 
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अधर्म-विध्वंसन-चापधारी 
धर्मस्य पाता दनुजान्तकारी । 
राजा स रामः कुविदां विदारी 
त्यागस्य मूर्त्तिः कलुषापहारी ।। (६) 
*
सीतापतिं दाशरथिं सलक्ष्मणं 
रामं नतोsहं हृदये प्रतिक्षणम् । 
भजामि भक्त्या भरताग्रजं प्रभुं 
भक्तप्रियं मारुति-सेवितं विभुम् ।। (७) 
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Contributions of Harekrishna Meher to Sanskrit Literature :  

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