Thursday, December 29, 2011

Indradhanu & Aamrakuta (Kosali Meghaduta: Harekrishna Meher)

Indradhanu & Aamrakuta
From ‘Kosali Meghaduta’
of Dr. Harekrishna Meher:
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इन्द्रधनु एवं आम्रकूट पर्वत
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इन्दर् धनु केते सुन्दर् दिशुछे इ साम्‌ने,
बिनोमुँड़िर् टिपिनुँ से उठिछे जतने ।
गुटे ठाने मिशि गले
रतन् केते बानि,
तेज् झल्‌मल् करुछे सते
मन्‌के नेसि टानि ।
इ धनु त तोर् साम्‌ला देहिके,
सजेइ देबा केते रंगे
अएन् दिश्‌बु सेनुँ ।
खोच्‌ले य़ेन्ति रङ्ग्‌रङ्गिआ मजूर्-चूल्,
गोपाल्-बेशे सुन्दर् देही
नन्दनन्दन् काह्नु ॥

[15]

*
आम्रकूटे तिहिड़ि देइ मुषल् धारा बिषम्,
जंग्‌ली जूएर् उत्पात्‌के करि देबु खतम् ।
बाट् चालिचालि तुइ त थाकि
य़ाइथिबु केते,
आदर् करि शुर्‌ङ्गे निजर्
ठान् देबा से तोते ।
आस्‌रा लागि पाशे बन्धु आएले
सेतार् आघर् उप्‌कार्‌के इ बेले,
हेतेइ करि कृपण् घले
अनादर् करे नाइँ ।
देखुछु त आम्रकूट पर्बत
केड़े उँचा बहिछे मान् महत,
इतार् सरि साधुर् कथा
काणा कहेमि मुइँ ॥

[17]
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( कोशली मेघदूत : डॉ. हरेकृष्ण मेहेर )
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