Original Hindi Film Song :
पल-पल दिलके पास तुम रहती हो *
‘Pal Pal Dil Ke Paas Tum
Rahati Ho’ * Film ‘Blackmail’
(1973)
*
Sanskrit Translation by
: Dr. Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit
Version Lyrics :
हृद् वै अध्यास्से प्रतिनिमिषं त्वम्
*
‘Hrid Vai Adhyaasse Pratinimisham Tvam' *
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मूलहिन्दीगीत : पल-पल दिल के पास
तुम रहती हो *
(चलचित्रम् : ब्लैकमेल् )
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः -
डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः
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हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
।
जीवनं मधु-तर्षंम्, त्वं वदसीदम् ।
हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
॥ (०)
*
अनुसायमधिनेत्रम्, तव वात्यञ्चल-लौल्यम्,
स्मृति-पङ्क्तिरानीता, भात्येव प्रतिनक्तम् ।
श्वासं नयामि स्वम्, प्रसरति सौगन्धं ते,
सौरभ-युक्तमिवैकम्, सन्देशमावहते ।
मम हृदय-स्पन्दोऽपि ते, कुरुते गीतोद्गानम् ॥
हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
॥ (१)
*
लोकितवानासं ह्यो, निजाजिर-मध्येऽहं त्वाम्,
आसीरिव ब्रुवन्ती त्वम्, कुरु मां रज्ज्वा बद्धाम् ।
कीदृक् सम्बन्धोऽयम्, कीदृश एते स्वप्नाः,
कथमज्ञाता अपि वै, भासन्ते स्वीयजनाः ।
चिन्तारतो ननु चाहम्, सभयं निगदाम्येवम् ॥
हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
॥ (२)
*
त्वं चिन्तयितास्येतावत्, ते करवै प्रेम कथम्,
त्वं वेदिष्यसि मत्तोऽहम्, अपि स्वीकरवै प्रणयम् ।
मत्तानामेतद् वृत्तम्, मत्ता जानन्ति सत्यम्,
ज्वलने सौख्यं किमास्ते, शलभा जानन्ति नूनम् ।
त्वं ज्वालय ह्येवं स्वप्ने, आगम्य मुहु-र्नित्यम् ॥
हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
।
जीवनं मधु-तर्षंम्, त्वं वदसीदम् ।
हृद् वै अध्यास्से, प्रतिनिमिषं त्वम्
॥ (३)
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Alternative Translation :
हृद् वै अध्यास्से or हृदयम् अध्यास्से *
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(Translated for popularisation and service to Sanskrit
and the nation.
Courtesy and Acknowledgements: Film *Blackmail (1973)
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हिन्दीगीत : पल-पल दिल के पास तुम रहती हो
*
चलचित्र : ब्लैकमेल् (१९७३)
*
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण *
सङ्गीतकार : कल्याणजी आनन्दजी * गायक : किशोर कुमार *
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पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो,
जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो ।
पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो ॥ (०)
*
हर शाम आँखों पर, तेरा आँचल लहराये,
हर रात यादों की बारात ले
आये ।
मैं साँस लेता हूँ, तेरी
खुशबू आती है ।
इक महका-महका-सा पैगाम लाती
है ।
मेरे दिल की धड़कन भी, तेरे गीत गाती है ॥
पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो ॥ (१)
*
कल तुझको देखा था, मैंने अपने आँगन में,
जैसे कह रही थी तुम, मुझे बाँध लो बन्धन में ।
ये कैसा रिस्ता है, ये कैसे सपने हैं,
बेगाने होकर भी, क्यूँ लगते अपने हैं ।
मैं सोच में रहता हूँ, डर-डरके कहता हूँ ॥
पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो ॥ (२)
*
तुम सोचोगी ये कैसे, मैं तुमसे प्यार करूँ,
तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इकरार करूँ ।
दीवानों की ये बातें, दीवाने जानते हैं,
जलने में क्या मजा है, परवाने जानते हैं ।
तुम यूँ ही जलाते रहना, आ आकर
ख्वाबों में ॥
पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो ।
जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो ।
पल-पल दिल के पास, तुम रहती हो ॥ (३)
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Great Sir 🌹🙏 I even tried to sing n enjoyed thoroughly.. 😊🙏 thank you Sir 🙏🌹
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