Sunday, September 8, 2024

Tere Hothon Ke Do Phool : Sanskrit Version Lyrics (सूनद्वयं तेऽधरस्य) by Dr. Harekrishna Meher

Original Hindi Film Song :
तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे  * 
Tere Hothon Ke Do Phool Pyare* (Film ‘Paaras’ 1971)
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Sanskrit Translation by : Dr.Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit Version Lyrics : सूनद्वयं तेऽधरस्य हृद्यं हृद्यम् *

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Song Credits and Acknowledgements:
हिन्दीगीत :  तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे * 
चलचित्र : पारस (१९७१)  * 
गीतकार : इन्दीवर *
सङ्गीतकार : कल्याणजी आनन्दजी * 
गायन : मुकेश एवं लता मंगेशकर *
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तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे,
मेरे प्यार की बहारों के नज़ारे,
अब मुझे चमन से क्या लेना, क्या लेना ।।
तेरी आंखों के दो तारे प्यारे प्यारे,
मेरी रातों के चमकते सितारे । 
अब मुझे गगन से क्या लेना, क्या लेना ।। (०)
*
तेरी काया कंचन कंचन,
किरनों का है जिसमें बसेरा ।
तेरी सांसें महकी महकी,
तेरी जुल्फों में खुशबू का डेरा ।
तेरा महके अंग-अंग
जैसे सोने में सुगंध
मुझे चन्दन-वन से क्या लेना, क्या लेना ।। (१)
*
मैंने देखा जबसे तुझको,
मेरे सपने हुए सिन्दूरी ।
तुझे पाके मेरे जीवन-धन
हर कमीं हुई मेरी पूरी ।
पिया एक तेरा प्यार
मेरे सोलह सिंगार,
मुझे अब दरपन से क्या लेना, क्या लेना ।। (२)
*
तेरा मुखड़ा दमके चमके
जैसै सागर पे चमके सवेरा ।
तेरी बाहें प्यार की झूलें,
तेरी बाहों में झूले मन मेरा ।
तेरी मीठी हर बात
रस की है बरसात,
हमें अब सावन से क्या लेना, क्या लेना ।। (३)
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Sanskrit Version Lyrics: 
मूल-हिन्दीगीतम् :
तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे * 
संस्कृत-गीतानुवादक: - डा. हरेकृष्ण-मेहेर:
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सूनद्वयं तेऽधरस्य हृद्यं हृद्यम्,
मम प्रेम्णो वासन्तिकं सुदृश्यम् ।
मयाधुना उद्यानात् किं नेयम्, किं नेयम् ?
तव नेत्रे तारा-द्वयं हृद्यं हृद्यम्, 
मम रात्रेस्तारा-युग्मं प्रदीप्तम् ।
मयाधुना नभाद् वा किं नेयम्, किं नेयम् ?।। (ध्रुवम्)
*
शरीरं ते काञ्चन-वर्णं
किरणानां यत्रावासस्थानम् ।
तव श्वसितं सौरभपूर्णं
कुन्तले ते वै सुरभेरागारम् ।
वासितं ते प्रत्यङ्गं
हेम्नि यद्वत् सौगन्धं
मया चन्दन-विपिनात् किं नेयम्, किं नेयम्  ।। (१)
*
त्वामपश्यं यस्मात् समयात्
मम सिन्दूरिता हि स्वप्ना: ।
अवाप्य त्वां मे जीवधन हे ! 
मम सर्वाभावा जाता: पूर्णा: ।
प्रिय ! त्वत्प्रेमैकं मे
षोड़श-शृङ्गारा हीमे 
मयाधुना मुकुराद् वा  किं नेयम्, किं नेयम् ।। (२)
*
तव वदनं सौम्यं दीप्तम्,
यथा सिन्धौ विलसति प्रभातम् ।
तव बाहू प्रेम-दोला वै
तव बाह्वोर्मे दोलितं स्वान्तम् ।
मधुमयी वाणी ते
रस-वर्षा राजते,
श्रावणत आवाभ्यां किं नेयम्, किं नेयम् ।। (३)
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Translated for popularisation of Sanskrit and service to the nation.
(Sanskrit Version done on 2-4-2024)
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Related Links :
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :
Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html
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Biodata: Dr. Harekrishna Meher :
http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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