Original Hindi Film Song :
‘Hai Preet Jahaan Ki Reet Sadaa’ *
है प्रीत जहाँ की रीत सदा * (Film: ‘Purab Aur Pashchim’
1970)  
*
Sanskrit Translation by
: Dr.Harekrishna Meher
(As per
Original Hindi Tune)
Sanskrit Version Lyrics : प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम् *  
‘Pritir
Yasyaah Ritir Niyatam’ * 
*
Participated
in Sanskrit Lyric Translation Competition 
Conducted
by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi. 
Name
enlisted in Program Telecast on 26 January 2019, 
Saturday
at 7 pm. 
* 
Sanskrit
Translation of the Lyrics is posted here 
for pleasure of reading.
for pleasure of reading.
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मूल-हिन्दीगीतम् :  है प्रीत जहाँ की रीत सदा *  
चलचित्रम्
: पूरब और पश्चिम (१९७०)  
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः  
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प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम्…   
प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम्, 
गायामि हि तस्याः गीतमहम् । 
भारतभूमे-र्वास्तव्योऽहम्, 
श्रावयाम्यहं भारत-वृत्तम् ॥ 
प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम् ॥ (०)  
*
न हि कृष्ण-गौर-भेदः कश्चित्   
प्रतिहृदयं  सम्बन्धोऽस्माकम्
। 
नान्यद् भवतु नाम नः किञ्चित्  
 
ज्ञातं नः प्रेम्णो निर्वहणम् । 
मानितमास्ते यदखिल-जगता, 
मानितमास्ते  यदखिल-जगता, 
वृत्तम्, वृत्तं तद् वच्मि पुनर्वारम् ।  
भारतभूमे-र्वास्तव्योऽहम्, 
श्रावयाम्यहं भारत-वृत्तम् ॥ 
प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम् ॥ (१)  
*
देशाः कैश्चिद् विजितास्तत् किम्, 
कृतो विजयोऽस्माभि-र्हृदयानाम् । 
रामोऽधुना-यावद् यत्र नरे 
सीताऽस्त्यधुना-यावन् नार्याम् । 
एतावत्-पूताः यत्र जनाः, 
एतावत्-पूताः यत्र जनाः,  
प्रतिदिवसम्, प्रतिदिवसं सन्नत-शीर्षोऽहम् । 
भारतभूमे-र्वास्तव्योऽहम्, 
श्रावयाम्यहं भारत-वृत्तम् ॥ (२)  
*
ममता इयती खलु नद्योऽपि   
मातर इति यत्राहूयन्ते । 
आदर एतावान्, नरास्तु किम्,  
पाषाणा अपि सम्पूज्यन्ते । 
भुवि तस्यां प्राप्तो जन्ममहम्, 
भुवि तस्यां प्राप्तो जन्ममहम्, 
एतद्, एतद् हि विचिन्त्य सगर्वोऽहम् ।  
भारतभूमे-र्वास्तव्योऽहम्, 
श्रावयाम्यहं भारत-वृत्तम् ॥  
प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम् ॥ (३) 
होहो.. होहोहो, होहो.. होहोहो.
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ज्ञातव्यम् : 
(१) Alternative Version of
(१) Alternative Version of
'प्रीति-र्यस्याः रीति-र्नियतम्' can be 'रीति-र्यद्भूमेः
प्रेम सदा'. 
(३)  
जन्म + अहम् = जन्माहम् * जन्मम् + अहम् = जन्ममहम् । 
*जन्मन् (जन्म, जन्मनी, जन्मानि इति रूपाणि भवन्ति कर्मवत्), 
*जन्मम् (जन्मम्, जन्मे, जन्मानि इति रूपाणि फलवत्): 
उभयं व्याकरण-दृष्ट्या क्लीवलिङ्गे शुद्धरूपम् । 
अत्र वाचस्पत्यम्, शब्दकल्पद्रुमश्चेत्यादयो नैके कोषाभिधान-ग्रन्थाः
प्रमाणम् । 
मया आधुनिक-साहित्ये जन्मम् इति पदं व्यवहृतम् । नात्र कोऽपि दोषः ।
शब्दज्ञान-परिसर-वर्धनार्थं 'जन्मम्' इति शब्दः नव्यरूपेण प्रयुक्तः । 
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Original Hindi Song : ‘Hai Preet Jahaan Ki Reet Sadaa’ 
Film : Purab Aur Pashchim (1970)
Lyrics : Indeevar  *  Music : Kalyanji Anandji  *   
Singer :  Mahendra Kapoor * 
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हिन्दीगीत :  है प्रीत जहाँ की रीत
सदा *  
चलचित्र : पूरब और पश्चिम (१९७०) * गीतकार :
इन्दीवर *  
संगीतकार : कल्याणजी आनन्दजी *
गायक : महेन्द्र कपूर  * 
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है प्रीत जहाँ की रीत सदा… 
है
प्रीत जहाँ की रीत सदा, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ । 
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ ।
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (०)
*
काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है ।
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है ।
जिसे मान चुकी सारी दुनिया,
भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ ।
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (०)
*
काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है ।
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है ।
जिसे मान चुकी सारी दुनिया,
जिसे
मान चुकी सारी दुनिया, 
मैं बात, मैं बात वही दोहराता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
मैं बात, मैं बात वही दोहराता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
भारत
की बात सुनाता हूँ । 
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (१)
*
जीते हो किसी ने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है ।
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है ।
इतने पावन हैं लोग जहाँ,
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (१)
*
जीते हो किसी ने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है ।
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है ।
इतने पावन हैं लोग जहाँ,
इतने
पावन हैं लोग जहाँ, 
मैं नित-नित, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
मैं नित-नित, मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
भारत
की बात सुनाता हूँ ॥ (२) 
*
इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते हैं ।
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जाते हैं ।
उस धरती पे मैंने जनम लिया,
*
इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते हैं ।
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जाते हैं ।
उस धरती पे मैंने जनम लिया,
उस
धरती पे मैंने जनम लिया, 
ये सोच, ये सोचके मैं इतराता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
ये सोच, ये सोचके मैं इतराता हूँ ।
भारत का रहने वाला हूँ,
भारत
की बात सुनाता हूँ । 
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (३)
है प्रीत जहाँ की रीत सदा ॥ (३)
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