Saturday, August 8, 2020

Ek Din Bik Jaayega Maati Ke Mol : Sanskrit Version Full Song (Lyrics: मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्): Dr. Harekrishna Meher

 Original Hindi Film Song :

एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

‘Ek Din Bik Jaayega Maati Ke Mol’ * Film ‘Dharam Karam’ (1975)

*

Sanskrit Translation by :  

Dr. Harekrishna Meher

(As per Original Hindi Tune)

Full Song Sanskrit Version Lyrics :

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम् *

‘Mrid-Mulya-Vikreyah Ekedyustvam’ * 

= = = = = = = =

मूलहिन्दीगीतम् : एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

(चलचित्रम् :  धरम  करम , १९७५)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - 

डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः

= = = = = =

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्,

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।    

अन्येषामधरेभ्यो  दत्त्वा स्वं गीतम्,

चिह्नं त्यजेः किञ्चित्, जगतो याहि परम् ॥ 

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्,

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।   

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ ॥ (०)  

*

यदभाव्यं, तनुते मार्गे कण्टक-लक्षम् ।    

भाव्यं चेद्, मेलयति पुन-र्वियुक्त-मित्रम् ।  

विरहोऽयम्, दूरतेयम्,  

द्वि-क्षणिकम्, वैवश्यम् । 

तद् गच्छेद् हृदयी को वा, कस्मान् नु त्रासम् । 

(तरम्पम्) 

यद् वा वहते स्रोतम्, सम्मिलति नूनम्,

स्रोतं स्या वहमानम्,     

जगतो याहि परम्  ॥ (१)

*

आसीना, जवनी-पश्चाद् गौरी श्यामा । 

दोरं वै, ते मे मनसो धृत्वा रामा । 

दोरोऽयं नो छिन्नः,

बन्धोऽयं  नो भग्नः ।  

आसन्ना उषेदानीं स्वल्पा त्रियामा ।    

(तरम्पम्)

बन्धो ! अधोमस्त:, किमु आसीनस्त्वम् ।

गौर्या मेलय नेत्रे, जगतो याहि परम् ।। (२)  

कामम्, नास्ति हि किञ्चित्  ते आयत्तम् ।  

धर्म:, स्वकर्म-सम्पादनं तवाsयम् ।  

सम्मत्ताः  पश्चात् ते,

मर्त्त्यजना मंस्यन्ते ।

भुव्यासीदायातोऽस्यां कश्चिद् मत्तोम् । 

(तरम्पम्)  

स्मरणं ते त्वत्-पश्चाद्, आयात् प्रतिचित्तम् । 

चल वै त्वमियत् कुर्वन्, जगतो याहि परम् ॥ (३) 

*

हर्म्येषु, प्रसरेद् हर्षस्ते वाचानाम् ।     

रथ्यासु, स्यादावासस्ते गीतानाम् ।

किं राजा, किं प्रजा,

किं बृद्धः, किं बालः ।   

अस्त्येकं ते व्यक्तित्वं सर्व-मनुजानाम् । 

(तरम्पम्) 

वाणी ते निर्गच्छेद्, योऽपि किरेद् वाद्यम् ।  

जीवन-स्वरो भूयाः, जगतो याहि परम् ॥ (४)

*

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्, 

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।   

अन्येषामधरेभ्यो दत्त्वा स्वं गीतम्,

चिह्नं त्यजेः किञ्चित्, जगतो याहि परम् ॥

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ  ॥ (०)

= = = = = = = 

(Translated for popularisation and service to Sanskrit and the nation.

Courtesy and Acknowledgements:  Film * Dharam Karam (1975)*

= = = = = = =  

FaceBook : Link : 

https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/4974144789278357

*

Twitter Link : 

https://twitter.com/DrHarekrishnaM/status/1292040837845651456

 = = = = = = = =

हिन्दीगीत : एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

चलचित्र : धरम करम (१९७५) *  

गीत : मजरूह सुलतानपुरी *

सङ्गीत : राहुल देव बर्मन् *  

गायक : मुकेश *

= = = = = = = =

एक दिन बिक जायेगा, माटी के मोल ।  

जग में रह जायेंगे, प्यारे ! तेरे बोल ।

दूजे के होंठों को देकर अपने गीत

कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल ॥

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ ॥  (०)     

*

अनहोनी, पथ में काँटे लाख बिछाये ।  

होनी तो, फिर भी बिछड़ा यार मिलाये ।

ये बिरहा, ये दूरी,

दो पल की मजबूरी ।

फिर कोई दिलवाला काहेको घबराये ।

(तरम्पम्) 

धारा जो बहती है, मिलके रहती है ।

बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (१)

‍*

परदे के, पीछे बैठी साँवल गोरी ।  

थामके, तेरे मेरे मन की डोरी ।

ये डोरी, न छूटे,

ये बन्धन, ना टूटे ।

भोर होनेवाली है अब, रैना है थोड़ी ।

(तरम्पम्) 

सर को झुकाये तू, बैठा क्या है यार !

गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल ॥ (२)

*

= = =

(मुकेश तथा किशोरकुमार गीत) -

ना हो, बश में तेरे कुछ भी माना ।  

तेरा धरम है अपना करम निभाना ।

तेरे पीछे, मतवाले,

सब सोचें, जगवाले ।

आया था इस दुनिया में  कोई मस्ताना ।

(तरम्पम्) 

हर दिल को तेरी याद, आये तेरे बाद ।

इतना तू करता जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (३)

*

(मुकेश तथा आशा भोंसले/ पूर्णिमा गीत) -

महलों में, हो तेरे बोलों की मस्ती ।  

गलियों में, हो तेरे गीतों की बस्ती ।

क्या राजा, क्या परजा,

क्या बूढ़ा, क्या बच्चा ।

सारे इनसानों की है, इक तेरी हस्ती ।

(तरम्पम्) 

निकले तेरी आवाज़, जो भी छेड़े साज ।   

जीवन की धुन बन जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (४)  

*

एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल,

जग में रह जायेंगे, प्यारे ! तेरे बोल ।

दूजे के होंठों को देकर अपने गीत

कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल ॥ (०)     

= = = = = = =

Related Links :

‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

* * *

Biodata: Dr. Harekrishna Meher :

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

* * *

YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher :

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

* * * 

VIDEOS of Dr.Harekrishna  Meher : 

Link : 

http://hkmeher.blogspot.com/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

* * * 

Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels:

Link : 

http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

= = = = = =

 अनुवादः- दिनाङ्कः ३०-३१/ मई /२०२०.

= = = = 


No comments:

Post a Comment