Sunday, November 2, 2025

Svastivachana-Gitika: Original Sanskrit Song with Hindi Translation by Dr. Harekrishna Meher (स्वस्तिवाचन-गीतिका, हिन्दी अनुवाद सहित)

'Svastivaachana-Gitika'  

With Hindi Translation: 

By Dr. Harekrishna Meher 

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* स्वस्तिवाचन-गीतिका *  
मूल संस्कृत रचयिता : डॉ. हरेकृष्ण मेहेर
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BlogLink :
https://hkmeher.blogspot.com/2021/09/svasti-vaachana-gitam-drharekrishna.html
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हिन्दी भावानुवाद : डॉ. हरेकृष्ण मेहेर
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स्वस्तिवाचन है, मंगल उच्चारण है ।
कल्याण-कामना है, स्वस्तिवाचन है ।। (०)

अपनी मातृभूमि भारत राष्ट्र है,
जगत में यह अर्चित है,
यहाँ चर्चित सकल शास्त्र हैं ।
उत्तम धान्यशस्यभरा यह धाम है,
विविध कलाओं का निधान है ।
यहाँ कई मणिरत्न एवं स्वर्ण आदि बहुमूल्य सम्पदा है ।
इसलिए समृद्धिशाली भारत को
सर्वदा हमारी हार्दिक प्रणति है । स्वस्तिवाचन है ।। (१)

भारतीय संस्कृति का विशेष महत्त्व है । यहाँ मानवता का दर्शन-तत्त्व निहित है ।‌ विश्वजनीन एक नीड़ की भावना यहाँ प्रतिपादित है । अर्थात् वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय भावना सारे विश्व को एक परिवार, एक नीड़, एक निवास मानती है । ऐसी भावना चिरन्तन धन है । इसलिए उत्तम विवेचन या विचार ध्येय है । स्वस्तिवाचन है ।। (२)

त्रिरंगा पताका हमारे भारत देश का गौरव है । समता, मैत्री, शान्ति रूप वैभव यहाँ निहित है । रमणीय, सौम्य और पावन रूप से विराजमान है यह शौर्य-प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज । उसे सानन्द वन्दन करते हैं । स्वस्तिवाचन है ।। (३)
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भारत राष्ट्र की तीन सेनावाहिनी है , जल, स्थल और नभ में । शत्रुओं को पराजित करने निपुण है । देश की सुरक्षा के लिए सेना अपने प्राणों को समर्पित करती है । राष्ट्र की सुरक्षा उसका सत्प्रयोजन है । उसके लिए हार्दिक वन्दन है । स्वस्तिवाचन है ।। (४) 

भारत का ऐश्वर्य है संस्कृत वाणी । संस्कृत भाषा-जननी नाम से लोक में समादृत है । प्राचीन होते हुए भी नित्य-नूतन है । आधुनिक युग का अनुकूल स्पन्दन है। अमृत-सा माधुर्य सिंचन करता है । उसके लिए आस्तिकता सहित सकारात्मक भावना काम्य है। स्वस्तिवाचन है ।। (५) 

हमारे भारत में कई प्रकार की विद्याएं हैं । वे संसार के कल्याण के लिए उद्दिष्ट हैं । आदर के साथ जानने योग्य हैं । इनमें सदा निर्मल भाव है । यहाँ समुज्ज्वल ज्ञान है, जो अज्ञान-रूप अन्धकार का विनाश करता है । यह शास्त्र ज्ञान दिव्य नयन है, जो आलोक दिखाता है । अतः उन विद्या और ज्ञान का अध्ययन एवं आराधन करना है । स्वस्तिवाचन है ।। (६) 

माता और पिता प्रथम गुरुवर हैं ।‌ अपनी सन्तान के हित साधन में सदा चेष्टित रहते हैं । उनका स्नेह-बन्धन परम आनन्द प्रदान करता है, भाव-सौरभ को प्रसारित करता है । उन माता-पिता के लिए भक्ति सहित पूजन निवेदित है । स्वस्तिवाचन है ।। (७) 

शिक्षा देनेवाले गुरु सदा ज्ञानरूप उत्तम दीपक जलाकर शिष्य के हृदय में स्थित अज्ञान-तिमिर को दूर करते हैं, तमोगुण का निवारण करते हैं । उनका मार्गदर्शन शुभ आलोक दिखलाता है, दोष का निराकरण करता है । उनके लिए सादर नमन एवं अभिवादन है । स्वस्तिवाचन है ।। (८) 

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समग्र चराचर की जिनने सर्जना की, तरंगमय नाद है जिनका, अनेक सुन्दर नाम से परिचित हैं वह परमेश्वर । सर्वदा प्रणम्य हैं, भक्ति के साथ पूजनीय हैं।‌ उनके लिए सदा भावभरी नीराजना, अर्चना समर्पित है । स्वस्तिवाचन है ।। (९) 

नारी और पुरुष, दोनों एक रथ के दो चक्र हैं । गृहस्थ का लक्ष्य नारी-पुरुष  दोनों के द्वारा सिद्ध होता है । दुनिया में सृष्टि करने हेतु इन दोनों का परस्पर उत्तम प्रेमबन्धन प्रतिष्ठित है, शुभ संकल्पना है । उनके लिए भाव-सौरभमय चन्दन अर्पित है । स्वस्तिवाचन है ।। (१०) 

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महिलाएं बहुत सरस, रमणीय होती हैं, देवी-रूपिणी हैं । सर्वंसहा पृथिवी के सद्गुणों का धारण करती हैं, सब कुछ सहनेवाली हैं नारियाँ । सुन्दरता का उत्तम निदर्शन हैं । मन को मोहित कर लेती हैं । उनके लिए सादर प्रणति के साथ अर्चना काम्य है । स्वस्तिवाचन है ।। (११) 

प्रकृति से वन्य सम्पदा है ।‌ तरु-लता वनस्पति आदि दूसरों के प्राण प्रदान करते हैं। प्रकृति का सारा साधन जल, स्थल, गगन सर्वत्र व्याप्त है । यह समस्त जग को अलंकृत करता है । उसका सुचारु उपयोग काम्य है । स्वस्तिवाचन है ।। (१२) 

पर्यावरण में सुख निहित रहता है । प्राणियों के प्राण धारण के लिए  उत्तम स्वस्थ परिवेश आवश्यक है । मन को प्रसन्न और परिष्कृत रखना है । आपस में द्वेषपूर्ण भाव नहीं होना चाहिए। आन्तरिक शान्ति का साधन काम्य है । स्वस्तिवाचन है ।। (१३) 

संगीत बहुत प्रिय है, सुन्दर है । साहित्य, कला, नाटक आदि लोगों को प्रसन्न करते हैं। सहृदय लोग रस का आस्वादन करते हैं। मन आनन्दित हो जाता है । उनके विस्तार हेतु विशाल वातायन है । स्वस्तिवाचन है ।। (१४) 

भारत में कई साधु सन्त हैं, जो समाज को उत्तम संस्कार प्रदान करते हैं। कई लेखक हैं, सारस्वत साधक हैं, जो समाज को अच्छी दिशा दर्शन कराते हैं । उत्तम प्रतिभा से नयी सर्जना होती है, नयी उद्भावना होती है । उनके लिए पवित्र चिन्तन है । स्वस्तिवाचन है ।। (१५) 

हमारे भारत में जो वैज्ञानिक हैं, जो उत्तम क्रीड़ावित् या खिलाड़ी हैं, सभी देश के सम्मान एवं गौरव के वर्द्धनकारी हैं ।‌ विविध क्षेत्रों में उनके विशेष अवदान हैं, जो कीर्ति का वर्द्धन करते हैं । उन सभी के लिए हार्दिक अभिनन्दन है । स्वस्तिवाचन है ।। (१६) 

स्वस्तिवाचक सब भारत देश की अर्चना करते हैं । जनसमाज के हित में उनका मन सदा संलग्न है, तत्पर है । उनके लिए सम्मान सहित हार्दिक बधाई । उनके प्रति पवित्र भावना अर्पित है । स्वस्तिवाचन है ।। (१७) 

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स्वस्तिवाचन-गीतिका * 
रचयिता : डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर:


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