भक्ति-गीत : बादल तू ही सुधा-जल तू ही
गीत एवं स्वर-रचना : डा. हरेकृष्ण मेहेर
गीत एवं स्वर-रचना : डा. हरेकृष्ण मेहेर
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Devotional Hindi Song
Bādal Tū Hī Sudhā-Jal Tū Hī
Lyrics and Tuning by : Dr. Harekrishna Meher
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बादल तू ही, सुधा-जल तू ही्,
शीतल तू ही, सुकोमल तू ही ।
प्रभु हे ! हरि तू ही हरे सब घाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (१)
*
अन्दर तू ही, उपेन्दर तू ही,
सुन्दर तू ही, समुन्दर तू ही ।
प्रभु हे ! तेरा रूप नयनाभिराम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (२)
*
निर्मल तू ही, समुज्ज्वल तू ही,
भक्त-आँखों का कज्जल तू ही ।
हरि हे ! तू ही सज्जन-शीश-ललाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (३)
*
भक्ति-सुधा का झरना बहे,
मन में रहे, ये रसना कहे ।
हरि हे ! सदा हरेकृष्ण हरेराम,
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (४)
*
इन्द्र-धनुषी सरगम तू ही,
जीवन-कला- सुसंगम तू ही ।
प्रभु हे ! तू ही ब्रह्म-नाद सुख-धाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (५)
*
ईश्वर तू ही, अनश्वर तू ही,
अम्बर तू ही, चराचर तू ही ।
प्रभु हे ! तुझे मेरा अनन्त प्रणाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (६)
*
जग-निर्माता, तू ही विधाता,
सबसे है तेरा अनमोल नाता ।
हरि हे ! तू ही आदि मध्य परिणाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (७)
*
तुझे मैं चाहूँ , तुझको बुलाऊँ,
तेरे बिन कैसे शोक भुलाऊँ ?
प्रभु हे ! फिर कैसे रहूँ निष्काम ?
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (८)
*
तेरे चरणों में खुशियाँ प्यारी,
तेरी माया है, ये दुनिया सारी ।
हरि हे ! ले भक्त-जनों को थाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (९)
*
जग में अकेला, तू ही निराला,
आनन्द-भरा सुबह का उजाला ।
प्रभु हे ! फिर तू ही शान्तिभरी शाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (१०)
*
हर दुःख में भी, रहे सुख में भी,
हृदय में गूँजे, मेरे मुख में भी ।
हरि हे ! तेरा मंगलमय शुभ नाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (११)
Bādal Tū Hī Sudhā-Jal Tū Hī
Lyrics and Tuning by : Dr. Harekrishna Meher
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बादल तू ही, सुधा-जल तू ही्,
शीतल तू ही, सुकोमल तू ही ।
प्रभु हे ! हरि तू ही हरे सब घाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (१)
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अन्दर तू ही, उपेन्दर तू ही,
सुन्दर तू ही, समुन्दर तू ही ।
प्रभु हे ! तेरा रूप नयनाभिराम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (२)
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निर्मल तू ही, समुज्ज्वल तू ही,
भक्त-आँखों का कज्जल तू ही ।
हरि हे ! तू ही सज्जन-शीश-ललाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (३)
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भक्ति-सुधा का झरना बहे,
मन में रहे, ये रसना कहे ।
हरि हे ! सदा हरेकृष्ण हरेराम,
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (४)
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इन्द्र-धनुषी सरगम तू ही,
जीवन-कला- सुसंगम तू ही ।
प्रभु हे ! तू ही ब्रह्म-नाद सुख-धाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (५)
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ईश्वर तू ही, अनश्वर तू ही,
अम्बर तू ही, चराचर तू ही ।
प्रभु हे ! तुझे मेरा अनन्त प्रणाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (६)
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जग-निर्माता, तू ही विधाता,
सबसे है तेरा अनमोल नाता ।
हरि हे ! तू ही आदि मध्य परिणाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (७)
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तुझे मैं चाहूँ , तुझको बुलाऊँ,
तेरे बिन कैसे शोक भुलाऊँ ?
प्रभु हे ! फिर कैसे रहूँ निष्काम ?
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (८)
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तेरे चरणों में खुशियाँ प्यारी,
तेरी माया है, ये दुनिया सारी ।
हरि हे ! ले भक्त-जनों को थाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (९)
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जग में अकेला, तू ही निराला,
आनन्द-भरा सुबह का उजाला ।
प्रभु हे ! फिर तू ही शान्तिभरी शाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (१०)
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हर दुःख में भी, रहे सुख में भी,
हृदय में गूँजे, मेरे मुख में भी ।
हरि हे ! तेरा मंगलमय शुभ नाम ।
हरेराम घनश्याम, हरि हे श्रीराम ॥ (११)
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[Published in 'Sangeet', Music Magazine,
September
2003, Geet-Gunjan Page-47,
Sangeet Karyalaya, Hathras, Uttar Pradesh, India.]
= = = = = = = = = = = = = Sangeet Karyalaya, Hathras, Uttar Pradesh, India.]
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