Wednesday, February 21, 2024

Laharon Se Darkar Nauka: लहरों से डरकर नौका (कवि सोहनलाल द्विवेदी): Sanskrit Version Lyrics by Dr.Harekrishna Meher

Laharon Se Darkar Nauka : लहरों से डरकर नौका * 

Original Hindi Song : Poet Sohanlal Dwivedi

Sanskrit Version Lyrics by : Dr. Harekrishna Meher

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लहरों से डरकर नौका (हिन्दी गीत)

रचयिता * कवि सोहनलाल द्विवेदी 

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लहरों से डरकर नौका  पार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती ॥ (०)

*

नन्हीं चींटी जब दाना  लेकर चलती है,

चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,

चढ़कर  गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है ।

आखिर उसकी मेहनत  बेकार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती ॥ (१)

‍*

डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है,

जा जाकर खाली हाथ  लौटकर आता है ।

मिलते नहीं सहज ही मोती  गहरे पानी में,

बढ़ता दुगुना उत्साह  इसी हैरानी में ।

मुट्ठी उसकी खाली हर  बार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती ॥ (२)

*

असफलता एक चुनौती है  स्वीकार करो,

क्या कमीं रह गयी देखो, और सुधार करो ।

जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,

संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम ।

कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती । 

कोशिश करनेवालों की  हार नहीं होती ॥ (३)

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लहरों से डरकर नौका (हिन्दी गीत)  

मूल-रचयिता * कवि सोहनलाल द्विवेदी

संस्कृत-गीतानुवादक: - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर:

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लहरी-भीत्या नौका वै  गच्छति नो पारम् । 

नायात्युद्यम-निरतानां  कर्मसु विफलत्वम् ।

उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (०) 

*

कणिकां नीत्वा चलति यदा  लघ्वी पिपीलिका,

रोहति भित्तौ स्खलति परं  शतवारं सैका ।

मनसो विश्वासो धमनौ  पूरयति साहसम्,

रोहे पतनं पतने रोहो  जनयति नो खेदम् ।

अन्ते तस्या: श्रम-सर्वं  याति नहि व्यर्थम् ।

नायात्युद्यम-निरतानां  कर्मसु विफलत्वम् । 

उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (१)

*

अवगाही कुरुते नूनं  निमज्जनं जलधौ,

प्रत्यायाति च रिक्त-करो  मुहुरपि गत्वाऽसौ ।

सरलं न लभ्यते वै मुक्ता  सलिले सुगभीरे,

द्विगुणं वर्धत उत्साहो  ह्यत्रोद्वेगभरे ।    

शून्यागच्छति न तदीया  मुष्टि: प्रतिवारम् ।

नायात्युद्यम-निरतानां  कर्मसु विफलत्वम् ।

उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (२)

*

असफलता त्वेकाह्वानं, तत् स्वीकुरु नूनम्, 

पश्याभाव: को जात:, सम्मार्जयाधिकम् ।  

नाप्तं यावत् सफलत्वं, निद्रां त्यज सौख्यम् ।  

सङ्घर्षाङ्गणमिह हित्वा  न पलायेथास्त्वम् ।

लभ्य: किञ्चित् कृतं विना, जयकारो नैवम् ।

नायात्युद्यम-निरतानां  कर्मसु विफलत्वम् ।

उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (३)

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अनुवाद काल : February 2023 

* Hearty thanks and gratitude to the owner of the Hindi Song. 

Translated into Sanskrit for service to Sanskrit literature and the nation. 

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Related Links :  

Biodata : 
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html 

* Contributions of Harekrishna Meher to Sanskrit Literature: 

Friday, February 16, 2024

'Jahnavi' (जाह्नवी) Sanskrit Poem by Dr.Harekrishna Meher

JAHNAVI' (Sanskrit Poem) 
By Dr. Harekrishna Meher 
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जाह्नवी  (संस्कृत-कविता) 
* डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः 
(‘पुष्पाञ्जलि-विचित्रा’ -काव्यतः) 
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राग-रङ्गिम-तरङ्ग-मालया 
मञ्जुला सरस-नाद-गुञ्जना । 
शं तनोतु मधुरा सुधा-रया 
ताप-वह्नि-हरणीह जाह्नवी ॥ (१)    
*
या विश्ववारा प्रथमैव संस्कृति-
र्विराजते या पुनती जगज्जनम् । 
सा जाह्नवी-चिह्नित-पुण्यधारा 
तनोतु भद्रं रस-भाव-सारा ॥ (२) 
*
त्रिपथगा हि भगीरथ-गौरवा 
भुवन-पालन-वर्धन-कारिणी । 
विजयते जगतां जननीव सा 
चिर-नवा विमला भुवि जाह्नवी ॥ (३) 
*
या स्वर्गात् समुपागता क्षितितले 
शम्भोर्जटा-संश्रिता 
पुत्राणां सगरस्य मुक्ति-सरणी 
भागीरथी स्वर्णदी । 
रम्या पुण्यजला महाकलुषहा 
मन्दाकिनी वन्दिता 
माङ्गल्यं जगतां कृते वितनुते 
गङ्गा शुभाङ्गी सदा।। (४) 
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(Extracted from 'Pushpanjali-Vichitra' Giti-kavya 
of Harekrishna Meher) 
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Sunday, February 11, 2024

शिवपञ्चाक्षर-वन्दना : 'ShivaPanchakshara-Vandana': Sanskrit Poem by Dr. Harekrishna Meher

* ShivaPanchakshara-Vandana * 
Sanskrit Poem by : Dr. Harekrishna Meher 
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* शिवपञ्चाक्षर-वन्दना * 
रचयिता  : डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
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(ॐ नमः शिवाय) 
*
नमोऽस्तु ते त्र्यम्बक ! विश्वमूर्त्ते ! 
नगेन्द्रजा-कान्तमजं भजेऽहम् । 
नटेश्वरं त्वां  वर-शूलहस्तं  
नतोऽस्मि देवासुर-वृन्द-वन्द्यम् ।। (१) 
*
मस्ते मृगाङ्को वितनोति कान्तिं 
मन्दाकिनी नन्दति पुण्यतोया । 
महेश्वरं  राम-नुतं  नतोऽहं 
मनोज-नाशिन् ! सुदया विधेया ।। (२) 
*
शिवा-समेतं शितिकण्ठ-देवं 
शिवं हि मृत्युञ्जयमाश्रितोऽहम् । 
शिवेतरं नाशय शङ्कर ! त्वं 
शिरेण शम्भो ! प्रणमामि शर्वम् ।। (३) 
*
वामाङ्ग-शोभां तनुते भवानी
वाद्यं मनोज्ञं  डमरु: प्रियं ते । 
वाञ्छाफलं भक्तजनाय दत्से 
वाराणसीधाम-पते ! नमस्ते ।। (४) 
*
यमस्य भीतिं  हरसे हरस्त्वं 
यं नौति लोकश्चरणारविन्दे । 
यस्य प्रसादात् समवाप्यते शं 
यज्ञस्वरूपं शिवमीश ! वन्दे ।।‌ (५) 
*
पञ्चाक्षर-वन्दनेयं महादेव-मुदावहा । 
पापहा सौख्यदा नित्यं पठतो लभ्यते शुभम् ।। (६) 
इति श्रीहरेकृष्ण-मेहेर-विरचिता शिवपञ्चाक्षर-वन्दना सम्पूर्णा । 
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(इयं वन्दना "स्तवार्चन-स्तवकम्" इति स्तोत्रकाव्यस्य अन्तर्गता । 
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Link : ShivaPanchakshara-Vandana : 

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Related Link : 

* Stavarchana-Stavakam * : 
https://hkmeher.blogspot.com/2017/02/stavarchana-stavakam-drharekrishna-meher.html?m=1 


Devotional Songs and Poems of Dr. Harekrishna Meher :
Link : 
  https://hkmeher.blogspot.com/2023/01/devotional-sanskrit-songs-drharekrishna.html
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Biodata: English: 
http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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Biodata: Web Version: 
https://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html?m=0
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Contributions of Dr. Harekrishna Meher to Sanskrit Literature: 
Link :

http://tapasvini-kavya.blogspot.in/2013/04/contributions-of-drharekrishna-meher-to.html
*
http://hkmeher.blogspot.in/2013/04/drharekrishna-mehers-contributions-to.html
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Translated Kavyas by : Dr.Harekrishna Meher :
Link :

http://hkmeher.blogspot.in/2016/08/translated-works-of-dr-harekrishna-meher.html
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