Friday, August 28, 2020

Apni Azadi Ko Ham Hargiz Mita Sakte Nahin: Sanskrit Version (Lyrics: स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम्): Dr.Harekrishna Meher: DDNEWS Vaartavali

 Original Hindi Film Song : Apni Azadi Ko Ham Hargiz Mita Sakte Nahin’ *

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं * (Film ‘Leader’ 1964) 

*

Sanskrit Translation by : Dr.Harekrishna Meher

(As per Original Hindi Tune)

Sanskrit Version Lyrics : स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम् *

‘Sviya-Svatantryam Kadapi Hantum No Shakta Vayam’  

*

Winner in Sanskrit Lyric Translation Competition

Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi.

Song Program Telecast on 22 August 2020, Saturday at 6 pm.

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Courtesy:

DDNEWS, Sanskrit Vaartavali: Full Episode (22 August 2020):

YouTube Link : https://youtu.be/nt1NwKyW8Lc

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हिन्दीगीतम् : अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं *

(चलचित्रम् : लीडर)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः 

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स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम् ।  

शक्यो मस्तच्छेदः किन्तु कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥

कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥ (०) 

*

शताब्देष्वाप्तं धनं स्वाधीनताया दुर्लभम्,

एतदस्माभिः सहस्रै-र्बलिदानैराप्तं धनम् । 

स्वीय-वक्षोदेशे गोली बह्वी प्राप्ता सस्मितम्,

तीर्णं नाना-निर्जनं वै लब्धो हि स्वर्गः परम् ।

धूलिसात् कर्त्तुं न शक्ता  आत्मसम्मानं ध्रुवम् । 

स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम् ॥ (१)

*

अत्याचारः किं वा कर्त्ता सम्मुखे निष्ठावतः,    

ज्वाला काचिद् नो समर्था आयातुं वाताग्रतः ।

सैन्य-लक्षं धृत्वा शान्ते-र्वैरी चेत् कोऽप्यागतः, 

नो क्षमः स्थातुं स वै नः एकताया अग्रतः ।   

स्मः पाषाणा यत्क्षोभार्थं वैरिवृन्दं नो क्षमम् ।   

स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम् ॥ 

शक्यो मस्तच्छेदः किन्तु कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥

कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥ (२)

*

कालस्याह्वानेन साकं ह्यग्रे यास्यामो वयम्,

प्रतिपदं जीवन-रूपं परिवर्त्तयिष्यामो वयम् । 

जायते चेद् देश-द्रोही को वा देशेऽपि स्वयम् ।     

स्वीय-शक्त्या तस्य मस्तं चूर्णयिष्यामो वयम् ।

वञ्चनैकाऽस्माभिराप्ता  भूयो नेष्टं वञ्चनम् । 

स्वीय-स्वातन्त्र्यं कदापि हन्तुं नो शक्ता वयम् ॥

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ॥ (३)

*

नव-युवानः स्मो देशस्य  यो नु सङ्घट्टं कुर्यात्,

सोऽस्मदीयैः सम्प्रहारै-र्भावी नूनं धूलिसात् ।

वात्यायां कालस्य गन्तारोऽत्याचारा वै द्रुतम्,

भास्यति व्योम्नि त्रिरङ्गा उड्डीनैषाऽऽजीवितम् । 

पित्रा शिक्षा या प्रदत्ता  नैति नो विस्मारणम् ।

शक्यो मस्तच्छेदः किन्तु कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥

शक्यो मस्तच्छेदः किन्तु कुर्मो नैव शिरो नतम् ॥ (४)

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* Blog Link: 

https://hkmeher.blogspot.com/2020/08/apni-azadi-ko-ham-hargiz-mita-sakte.html

FaceBook : Link :

https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/5053714791321356

Twitter : Link:

 https://twitter.com/DrHarekrishnaM/status/1298069721217196034?s=19

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मूल-हिन्दीगीत : अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं *  

चलचित्र : लीडर (१९६४) *   गीतकार : शकील बदायुँनी *

सङ्गीतकार :  नौशद  *  गायक : मोहम्मद रफ़ी *

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अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं ।

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं ।

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं ॥

सर झुका सकते नहीं ॥  (०)

*

हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पायी है, 

सैकड़ों कुर्वानियाँ देकर ये दौलत पायी है ।

मुस्कुराकर खायी हैं  सीनों पे अपने गोलियाँ, 

कितने वीरानों से गुजरे हैं तो जन्नत पायी है ।

खाक में हम अपनी इज्जत को मिला सकते नहीं ।

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं ॥ (१)  

*

क्या चलेगी ज़ुल्म की अहल-ए-वफ़ा के सामने, 

आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने ।

लाख फौजें लेके आये  अम्न का दुश्मन कोई, 

रुक नहीं सकता हमारी  एकता के सामने ।

हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं ।

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं । 

सर कटा सकते हैं लेकिन  सर झुका सकते नहीं ॥

सर झुका सकते नहीं ॥ (२)

*

वक्त की आवाज़ के हम साथ चलते जायेंगे, 

हर कदम पर ज़िन्दगी का रुख बदलते जायेंगे ।

गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार-ए-वतन,  

अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जायेंगे ।

एक धोखा खा चुके हैं  और खा सकते नहीं ।

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं ॥

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ॥ (३)

*

हम वतन के नौजवाँ हैं  हमसे जो टकरायेगा, 

वो हमारी ठोकरों से  खाक में मिल जायेगा ।

वक्त के तूफ़ान में बह जायेंगे जुल्मों-सितम, 

आसमाँ पर ये तिरंगा  उम्रभर लहरायेगा ।

जो सबक बापू ने सिखलाया भूला सकते नहीं ।

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं ॥ 

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं ॥ (४)

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Related Links :

‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

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Biodata: Dr. Harekrishna Meher :

http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

* * * 

YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher :

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

* * * 

VIDEOS of Dr.Harekrishna  Meher : 

Link : http://hkmeher.blogspot.in/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

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Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels:

Link : http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

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Thursday, August 13, 2020

Tujhse Naaraz Nahin Zindagi: Sanskrit Version (Lyrics: जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः) : Dr.Harekrishna Meher

 Original Hindi Film Song : तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी * 

‘Tujhse Naaraz Nahin Zindagi’ *  

Film  ‘Maasoom’ (1983)*

Sanskrit Translation by :  Dr. Harekrishna Meher

(As per Original Hindi Tune)

Sanskrit Version Lyrics :

जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः *     

‘Jivana ! Tubhyam Na Vai Roshitah’ *  

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Participated in Sanskrit Lyric Translation Competition

Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi.

Name enlisted in the Program Telecast

on 8 August 2020, Saturday at 6 pm.

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‘Tujhse Naaraz Nahin Zindagi’: Sanskrit Version :

HKMeher Blog-Link :

http://hkmeher.blogspot.com/2020/08/tujhse-naaraz-nahin-zindagi-sanskrit.html

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मूलहिन्दीगीत : तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी * 

(चलचित्रम् : मासूम)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः

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जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः, ननु विस्मितोऽहम् ।

ओऽऽ, ननु विस्मितोऽहम् ।

तावकीनैः शुचि-प्रश्नैः, अस्मि व्याकुलोऽहम् ।

ओऽऽ, अस्मि व्याकुलोऽहम् ॥ (०)

*

जीवितुं मया भावितं न वै, सह्यं वेदनाजातम् ।  

स्मितं चेत् कार्यम्, स्मितस्य नूनं, सर्वमृणं शोधनीयम् ।  

ओऽऽ, स्मितं कुर्यां कदा, तत् प्रतीयते,

अस्तीवाधरे, ऋणं हि न्यस्तम् ॥

ओऽऽ, जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः, ननु विस्मितोऽहम् ।

ओऽऽ, ननु विस्मितोऽहम् ॥ (१)

*

जीवन ! दुःखं तवाबोधयत्, मह्यं नवं सम्पर्कम् ।

यदवाप्तं मे, आप्तमातपे, शीतल-च्छाया-तत्त्वम् ।   

ओऽऽ, जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः, ननु विस्मितोऽहम् ।

ओऽऽ, ननु विस्मितोऽहम् ॥ (२)

*

अद्य हि चेत्, सम्पूरिते, वर्षिष्यति कणाजातम् ।  

श्वो भावि किम्, कृते केषाम्, नेत्रे यातारौ तर्षम् ।  

नावैमि कदा लुप्तम्, क्व वा नष्टम्,  

एकमस्रम्, मयासीत् निलीनम् ॥    

ओऽऽ, जीवन ! तुभ्यं न वै रोषितः, ननु विस्मितोऽहम् ।

ओऽऽ, ननु विस्मितोऽहम् । 

तावकीनैः शुचि-प्रश्नैः, अस्मि व्याकुलोऽहम् ।

ओऽऽ, अस्मि व्याकुलोऽहम् । ओऽऽ, अस्मि व्याकुलोऽहम् ।

ओऽऽ, अस्मि व्याकुलोऽहम् ॥ (३)

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FaceBook : Link :

https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/5003140409712128

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Twitter: Link:

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हिन्दीगीत : तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी   

चलचित्र : मासूम (1983) *  गीत : गुलजार *

सङ्गीत : राहुल देव बर्मन् *  

गायक : किशोर कुमार *

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तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं ।

हो, हैरान हूँ मैं ।

तेरे मासूम सवालों से, परेशान हूँ मैं ।

हो, परेशान हूँ मैं ॥ (०)

*

जीनेके लिये सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे ।

मुस्कुराये तो मुस्कुराने के, कर्ज़ उतारने होंगे ।

हो, मुस्कुराऊँ कभी, तो लगता है,

जैसे होंठों पे, कर्ज़ रखा है ।

तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं ।

हो, हैरान हूँ मैं ॥ (१)

*

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें, रिस्ते नये समझाये ।

मिले जो हमें धूप में मिले, छाँव के ठंडे साये ।

हो, तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं ।

हो, हैरान हूँ मैं  ॥ (२)

*

आज अगर  भर आयी हैं, बूँदे बरस जायेंगी ।

कल क्या पता  किनके लिये, आँखें तरस जायेंगी ।

हो, जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया,

इक आँसू, छुपाके रखा था ॥

तुझसे नाराज नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं ।

हो, हैरान हूँ मैं ।

तेरे मासूम सवालों से, परेशान हूँ मैं ।

हो, परेशान हूँ मैं ॥ (३)

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Related Links :

‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

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Biodata: Dr. Harekrishna Meher :

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

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YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher :

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

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VIDEOS of Dr.Harekrishna  Meher : 

Link : 

http://hkmeher.blogspot.com/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

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Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels:

Link : 

http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

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Saturday, August 8, 2020

Ek Din Bik Jaayega Maati Ke Mol : Sanskrit Version Full Song (Lyrics: मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्): Dr. Harekrishna Meher

 Original Hindi Film Song :

एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

‘Ek Din Bik Jaayega Maati Ke Mol’ * Film ‘Dharam Karam’ (1975)

*

Sanskrit Translation by :  

Dr. Harekrishna Meher

(As per Original Hindi Tune)

Full Song Sanskrit Version Lyrics :

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम् *

‘Mrid-Mulya-Vikreyah Ekedyustvam’ * 

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मूलहिन्दीगीतम् : एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

(चलचित्रम् :  धरम  करम , १९७५)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - 

डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः

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मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्,

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।    

अन्येषामधरेभ्यो  दत्त्वा स्वं गीतम्,

चिह्नं त्यजेः किञ्चित्, जगतो याहि परम् ॥ 

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्,

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।   

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ ॥ (०)  

*

यदभाव्यं, तनुते मार्गे कण्टक-लक्षम् ।    

भाव्यं चेद्, मेलयति पुन-र्वियुक्त-मित्रम् ।  

विरहोऽयम्, दूरतेयम्,  

द्वि-क्षणिकम्, वैवश्यम् । 

तद् गच्छेद् हृदयी को वा, कस्मान् नु त्रासम् । 

(तरम्पम्) 

यद् वा वहते स्रोतम्, सम्मिलति नूनम्,

स्रोतं स्या वहमानम्,     

जगतो याहि परम्  ॥ (१)

*

आसीना, जवनी-पश्चाद् गौरी श्यामा । 

दोरं वै, ते मे मनसो धृत्वा रामा । 

दोरोऽयं नो छिन्नः,

बन्धोऽयं  नो भग्नः ।  

आसन्ना उषेदानीं स्वल्पा त्रियामा ।    

(तरम्पम्)

बन्धो ! अधोमस्त:, किमु आसीनस्त्वम् ।

गौर्या मेलय नेत्रे, जगतो याहि परम् ।। (२)  

कामम्, नास्ति हि किञ्चित्  ते आयत्तम् ।  

धर्म:, स्वकर्म-सम्पादनं तवाsयम् ।  

सम्मत्ताः  पश्चात् ते,

मर्त्त्यजना मंस्यन्ते ।

भुव्यासीदायातोऽस्यां कश्चिद् मत्तोम् । 

(तरम्पम्)  

स्मरणं ते त्वत्-पश्चाद्, आयात् प्रतिचित्तम् । 

चल वै त्वमियत् कुर्वन्, जगतो याहि परम् ॥ (३) 

*

हर्म्येषु, प्रसरेद् हर्षस्ते वाचानाम् ।     

रथ्यासु, स्यादावासस्ते गीतानाम् ।

किं राजा, किं प्रजा,

किं बृद्धः, किं बालः ।   

अस्त्येकं ते व्यक्तित्वं सर्व-मनुजानाम् । 

(तरम्पम्) 

वाणी ते निर्गच्छेद्, योऽपि किरेद् वाद्यम् ।  

जीवन-स्वरो भूयाः, जगतो याहि परम् ॥ (४)

*

मृद्-मूल्य-विक्रेयः एकेद्युस्त्वम्, 

प्रिय हे ! भवितारस्ते वाचोऽधिविश्वम् ।   

अन्येषामधरेभ्यो दत्त्वा स्वं गीतम्,

चिह्नं त्यजेः किञ्चित्, जगतो याहि परम् ॥

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ  ॥ (०)

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(Translated for popularisation and service to Sanskrit and the nation.

Courtesy and Acknowledgements:  Film * Dharam Karam (1975)*

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FaceBook : Link : 

https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/4974144789278357

*

Twitter Link : 

https://twitter.com/DrHarekrishnaM/status/1292040837845651456

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हिन्दीगीत : एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल * 

चलचित्र : धरम करम (१९७५) *  

गीत : मजरूह सुलतानपुरी *

सङ्गीत : राहुल देव बर्मन् *  

गायक : मुकेश *

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एक दिन बिक जायेगा, माटी के मोल ।  

जग में रह जायेंगे, प्यारे ! तेरे बोल ।

दूजे के होंठों को देकर अपने गीत

कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल ॥

लालाऽ लालालालाऽ, लालाऽ लालाला लाऽऽ ॥  (०)     

*

अनहोनी, पथ में काँटे लाख बिछाये ।  

होनी तो, फिर भी बिछड़ा यार मिलाये ।

ये बिरहा, ये दूरी,

दो पल की मजबूरी ।

फिर कोई दिलवाला काहेको घबराये ।

(तरम्पम्) 

धारा जो बहती है, मिलके रहती है ।

बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (१)

‍*

परदे के, पीछे बैठी साँवल गोरी ।  

थामके, तेरे मेरे मन की डोरी ।

ये डोरी, न छूटे,

ये बन्धन, ना टूटे ।

भोर होनेवाली है अब, रैना है थोड़ी ।

(तरम्पम्) 

सर को झुकाये तू, बैठा क्या है यार !

गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल ॥ (२)

*

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(मुकेश तथा किशोरकुमार गीत) -

ना हो, बश में तेरे कुछ भी माना ।  

तेरा धरम है अपना करम निभाना ।

तेरे पीछे, मतवाले,

सब सोचें, जगवाले ।

आया था इस दुनिया में  कोई मस्ताना ।

(तरम्पम्) 

हर दिल को तेरी याद, आये तेरे बाद ।

इतना तू करता जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (३)

*

(मुकेश तथा आशा भोंसले/ पूर्णिमा गीत) -

महलों में, हो तेरे बोलों की मस्ती ।  

गलियों में, हो तेरे गीतों की बस्ती ।

क्या राजा, क्या परजा,

क्या बूढ़ा, क्या बच्चा ।

सारे इनसानों की है, इक तेरी हस्ती ।

(तरम्पम्) 

निकले तेरी आवाज़, जो भी छेड़े साज ।   

जीवन की धुन बन जा, फिर दुनिया से डोल ॥ (४)  

*

एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल,

जग में रह जायेंगे, प्यारे ! तेरे बोल ।

दूजे के होंठों को देकर अपने गीत

कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल ॥ (०)     

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Related Links :

‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

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Biodata: Dr. Harekrishna Meher :

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

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YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher :

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

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VIDEOS of Dr.Harekrishna  Meher : 

Link : 

http://hkmeher.blogspot.com/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

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Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels:

Link : 

http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

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 अनुवादः- दिनाङ्कः ३०-३१/ मई /२०२०.

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