Tuesday, November 5, 2024

'Phoolon Ke Rang Se' (फूलों के रंग से): Sanskrit Version Lyrics (वर्णै: सुमानाम्) by Dr.Harekrishna Meher

Original Hindi Film Song :
फूलों के रंग से, दिल की कलम से * 
‘Phoolon Ke Rang Se, Dil Ki Kalam Se’ * 
Film ‘Prem Pujari’ (1970) 
*
Sanskrit Translation by : Dr. Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit Version Lyrics : वर्णै: सुमानां, मम हृल्लेखन्या * 
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Song Credits and Acknowledgements : 
Film : Prem Pujari (1970) 
Hindi Lyricist : Neeraj  
Music Director : Sachin Dev Burman 
Singer : Kishore Kumar 
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मूलहिन्दीगीत : फूलों के रंग से, दिल की कलम से ‍*   
चलचित्र : प्रेम पुजारी  (१९७०) *
गीतकार : नीरज *
सङ्गीतकार : सचिन देव बर्मन्  * 
गायक : किशोर कुमार *
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फूलों के रंग से, दिल की कलम से, 

तुझको लिखी रोज पाती । 

कैसे बताऊं, किस किस तरह से 

पल-पल मुझे तू सताती । 

तेरे ही सपने  लेकर के सोया, 

तेरी ही यादों में जागा । 

तेरे खयालों में उलझा रहा यूं 

जैसै कि माला में धागा । 

हां, बादल-बिजली चन्दन-पानी 

जैसा अपना प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।।  

हां, इतना मदिर, इतना मधुर  

तेरा मेरा प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।। (१) 

*

सांसों की सरगम, धड़कन की बीना, 

सपनों की गीताञ्जली तू । 

मन की गली में  महके जो हरदम 

ऐसी जूही की कली तू । 

छोटा सफर हो, लम्बा सफर हो, 

सूनी डगर हो या मेला । 

याद तू आये  मन हो जाये 

भीड़ के बीच अकेला । 

हां, बादल-बिजली चन्दन-पानी 

जैसा अपना प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।। 

हां, इतना मदिर, इतना मधुर, 

तेरा मेरा प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।। (२) 

पूरब हो पश्चिम, उत्तर हो दक्षिण, 

तू हर जगह मुस्कुराये । 

जितना ही जाऊं  मैं दूर तुझसे 

उतनी ही तू पास आये । 

आंधी ने रोका, पानी ने टोका, 

दुनिया ने हंसकर पुकारा । 

तस्वीर तेरी लेकिन लिये मैं 

कर आया सबसे किनारा । 

हां, बादल-बिजली चन्दन-पानी 

जैसा अपना प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।। 

हां, इतना मदिर, इतना मधुर, 

तेरा मेरा प्यार । 

लेना होगा  जनम हमें 

कई कई बार ।। (३) 

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मूलहिन्दीगीतम् : फूलों के रंग से दिल की कलम से * 

(चलचित्रम् : प्रेम पुजारी)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादक: - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः

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वर्णै: सुमानां  हृदय-लेखन्या 

लिखितं ते नित्यं हि पत्रम् । 

कीदृग् वदेयं  किं-किं-प्रकारै: 

दत्से सदा मे नु कष्टम् । 

स्वप्नान् तवैवं  नीत्वा सुप्तोऽहम्, 

स्मृत्यां प्रबुद्धस्तवैवम् । 

त्वद्-भावनायां निबद्धोऽहमित्थम्, 

लग्नं यथा माल्ये सूत्रम् ।  

आम्, मेघ-शम्पावत्, चन्दन-जलवत्,

नैजं प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जन्म निश्चितम्, 

मुहुर्मुहुस्स्वम् । 

आम्, इयद् हि रम्यम्, इयद् हि मधुरम्, 

ते मे प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जन्म निश्चितम्,    

मुहुर्मुहुस्स्वम् ।। (१) 

*

तान: श्वासानां  स्पन्दस्य वीणा  

स्वप्नानां गीताञ्जलिस्त्वम् । 

या स्वान्त-वीथ्यां  नियतं सुगन्धा   

एवं हि यूथी-कलिस्त्वम् । 

यात्रा नु लघ्वी, यात्रा नु दीर्घा   

शून्यायनं यद् वाकीर्णम् । 

स्मृत्यामेषि त्वम्, चित्तं भवेद् मे 

संमर्द-मध्ये निस्सङ्गम् । 

आम्, मेघ-शम्पावत्, चन्दन-जलवत्, 

नैजं प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जननं निश्चितम्,   

मुहुर्मुहुस्स्वम् । 

आम्, इयद् हि रम्यम्, इयद् हि मधुरम्, 

ते मे प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जन्म निश्चितम्,   

मुहुर्मुहुस्स्वम् ।। (२) 

*

प्राची प्रतीची  उदीच्यवाची,  

सर्वत्र भासि स्मिता त्वम् । 

यावद् गच्छेयं  त्वत्तो हि दूरम्,  

तावत् त्वमायासि पार्श्वम् । 

वात्या सरोधा, तोयं सबाधम्, 

जगदाह्वयद् वै सहासम् । 

किन्तु त्वहं ते  नीत्वा सुचित्रम्,   

आगच्छं हित्वा समस्तम् ।  

आम्, मेघ-शम्पावत्, चन्दन-जलवत्,   

नैजं प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जन्म निश्चितम्, 

मुहुर्मुहुस्स्वम् । 

आम्, इयद् हि रम्यम्, इयद् हि मधुरम्,  

ते मे प्रेमेदम् । 

नेष्यावो नौ  जन्म निश्चितम्,    

मुहुर्मुहुस्स्वम् ।। (३) 

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(Translated for popularisation and service to Sanskrit and the nation.)    

Translated in August 2023. 

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Related Links : 
BlogPost : 
https://hkmeher.blogspot.com/2024/11/phoolon-ke-rang-se-sanskrit-version.html

*
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :
Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html?m=1
* * * 

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http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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