Saturday, April 20, 2024

Koi Jab Tumhara Hriday Tod De : Sanskrit Version (Lyrics: विभञ्ज्याद् यदा हृद् जनः कोऽपि ते): Dr.Harekrishna Meher

 Original Hindi Film Song : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे *

Koi Jab Tumhara Hriday Tod De * (Film ‘Purab Aur Pashchim’ 1970) 

*

Sanskrit Translation by : Dr.Harekrishna Meher 

(As per Original Hindi Tune)

Sanskrit Version Lyrics : विभञ्ज्याद् यदा हृद्  जनः कोऽपि ते *

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Participated in Sanskrit Lyric Translation Competition

Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD NEWS Channel, Delhi.

Name enlisted in the Program Telecast on 22 November 2020,

Saturday at 6 pm.

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हिन्दीगीत : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे *  

चलचित्र : पूरब और पश्चिम (१९७०) *  गीतकार : इन्दीवर *

सङ्गीतकार :  कल्याणजी आनन्दजी *  गायक : मुकेश *

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कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,

तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ।

तब तुम मेरे पास आना प्रिये !

मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे ॥ (०)

*

अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं,

बहुत चाहनेवाले मिल जायेंगे ।

अभी रूप का एक सागर हो तुम,

कँवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे ।

दरपन तुम्हें जब, डराने लगे,

जवानी भी दामन छुड़ाने लगे ।

तब तुम मेरे पास आना प्रिये !

मेरा सर झुका है, झुका ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,

तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ॥ (१)

*

कोई शर्त होती नहीं प्यार में,

मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया ।

नज़र में सितारें जो चमकें जरा,

बुझाने लगीं आरती का दीया ।

जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो,

अन्धेरों में अपने ही घिरने लगो ।

तब तुम मेरे पास आना प्रिये !

ये दीपक जला है, जला ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।

कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,

तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ॥ (२)

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Song Credits : Original Hindi Film Song *

हिन्दीगीत : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे *

(चलचित्रम् : पूरब और पश्चिम)

मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः

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विभञ्ज्याद् यदा हृद्  जनः कोऽपि ते,   

व्यथाव्याकुलां को  यदा मुञ्चते ।

कान्ते ! तदायाहि  त्वं मेऽन्तिकम्,

द्वारं मेऽस्ति मुक्तम्, तद् मुक्तं हि भावि, खलु त्वत्कृते ॥ (०)

*

अनावश्यकस्ते त्वहं साम्प्रतम्,               

प्रियाकामिनो नैके त्वां लप्स्यन्ते ।   

पयोधिस्त्वमेको रूपस्याधुना

यथास्वं फुल्लिष्यन्ति पद्मानि ते । 

मुकुरो यदा ते प्रदद्याद् भयम्,  

पुनस्तारुण्यं मोचयेदञ्चलम् । 

कान्ते ! तदायाहि  त्वं मेऽन्तिकम्, 

नतं मे शिरोऽस्ति, नतं भावि तद् वै, खलु त्वत्कृते ।

विभञ्ज्याद् यदा हृद्  जनः कोऽपि ते,   

व्यथाव्याकुलां को  यदा मुञ्चते ॥ (१)

*

भवेत् प्रेम्णि नियमो न कोऽपि ध्रुवम्, 

त्वया किन्तु नियमैः  स्वप्रेमा कृतः ।  

विभाता क्षणं नेत्रे तारा यदा,

प्रदीपस्तु पूजाया निर्वापितः ।   

भवेस्त्वं स्वनेत्रे हि पतिता यदा, 

भवेस्स्वीय-तमसा हि परितो वृता । 

कान्ते ! तदायाहि  त्वं मेऽन्तिकम्,  

दीपोऽयं ज्वलन् वै, ज्वलन् भावी नित्यं, खलु त्वत्कृते  

विभञ्ज्याद् यदा हृद्  जनः कोऽपि ते,   

व्यथाव्याकुलां को  यदा मुञ्चते  ॥ (२)   

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(Sanskrit Version done on 15-11-2020)

Related Links : 

‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

* * *

Biodata: Dr. Harekrishna Meher : 

http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

* * * 

YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher :

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

* * * 

VIDEOS of Dr. Harekrishna  Meher : 

Link : http://hkmeher.blogspot.in/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

* * * 

Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels:

Link : http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

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