Monday, April 11, 2022

स्वास्थ्य-भावनम् : Svaasthya-Bhaavanam : Sanskrit Poem by Dr. Harekrishna Meher

* Svaasthya-Bhaavanam * 
(Original Sanskrit Poem) 
By : Dr. Harekrishna Meher 
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* स्वास्थ्य-भावनम् * 
रचयिता : डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
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'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' 
इत्याह तथ्यं कवि-कालिदास: । 
अस्माभिरेवं सततं कलेवरं 
सुरक्षणीयं सबलं विधातुम् ।।(१)
*
यत् पञ्चभूतै: रचितं हि देहं 
तद् रोगभूमिं प्रवदन्ति सन्त: । 
स्वास्थ्योन्नते: साधन-सर्वमिष्टं 
नूनं ग्रहीतुं भुवि चेष्टितव्यम् ।।(२) 
आहार-पेयं  नियतं सुनेयं 
स्वास्थ्यस्य हेतो-र्हितकारि यद् वा । 
प्रदूषितं वस्तु न सेवनीयं 
यद् रोगराशिं सृजति स्वदेहे ।।(३)  
न कर्मदाक्ष्यं शिथिले शरीरे 
भवेन् नराणामिदमेव दु:खम् । 
व्यायाम-लेशोsपि हरेद् विषादं 
प्रफुल्लतां वै वितनोति काये ।।(४)  
आबाल-वृद्धै: स्वबलानुरूपं 
स्वल्पोsपि योग: करणीय एवम् । 
हर्त्तुं च रोगादिकमात्मदेहात् 
कार्या चिकित्सा भिषजां सुयत्नै: ।।(५) 
विद्यार्थिनामध्ययनै: समेतं 
व्यायाम-खेलादि सुसेवितव्यम् । 
कार्ये प्रवृत्तिं कुरुते तदेवं 
स्फूर्त्तिं च देहे तनुते प्रकामम् ।।(६)  
सर्वत्र वै संयम एव धार्यो 
नासंयमे देहभृतोsस्ति भद्रम् । 
आरोग्यमेवं नितरामभीष्टं 
निरामयत्वं सुख-शान्तिवाहम् ।।(७)  
*
मितं सदाहार-विहार-जातं 
ध्येयं समेषां सदने नितान्तम् । 
प्रातश्च सायं चरण-प्रचालनं 
सारं हितं स्वास्थ्यकृते निगद्यते ।।(८)  
स्वस्थं विधातुं परिवेशमित्थं  
लोकेsस्मदीये नियतं हि काम्यम् । 
स्वच्छं जलं वायुरपीह भोजनं 
निसर्ग-रक्षा तरुरोपणादिकम् ।।(९) 
दुर्भावनानां परिवर्जनेन वै 
स्वस्थं प्रसन्नं हृदयं भवेन्निजम्  । 
धार्यं सकारात्मक-चिन्तनं तथा 
देया सुकार्ये सहयोगिता पुन: ।।(१०) 
स्वस्थं मन: स्वस्थ-तनुश्च जीवनं   
स्वस्थं च पर्यावरणं विराजताम् । 
मर्त्त्ये सुवार्त्ता विलसेद् मुदावहा 
सद्भावपूर्णा धरणी च पुष्कला ।।(११) 
*
व्यक्ते: स्वकार्यै: क्षमतानुसारं 
सञ्जायते सत्फलदा समृद्धि: । 
स्वस्थे समाजे सुखिते च राज्ये 
स्वस्थं हि राष्ट्रं भविता च विश्वम् ।।(१२) 
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(From "स्वस्तिकविताञ्जलि:" Gitikavya of Harekrishna Meher) 
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Related Link : 

Svasti-Kavitanjalih (Sanskrit Gitikavya): Dr. Harekrishna Meher :

https://hkmeher.blogspot.com/2022/07/svasti-kavitanjalih-sanskrit-gitikavya.html

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Friday, April 8, 2022

Sanskrit Version Lyrics of Hindi Song "Chalte Chalte Mere Ye Geet". By Dr. Harekrishna Meher

Sanskrit Version Lyrics
of Original Hindi Song

"Chalte Chalte Mere Ye Geet"
* चलते-चलते मेरे ये गीत *

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Sanskrit Translation
* अयने अयने,  मम गीतं *
(As per Original Tune) by :
Dr. Harekrishna Meher

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Film : Chalte Chalte
Hindi Lyricist : Amit Khanna
Music Director : Bappi Lahiri 
Singer : Kishore Kumar 
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हिन्दी गीत : 'चलते-चलते मेरे ये गीत' *
चलचित्र : चलते चलते *
गीतकार : अमित खन्ना *
संगीतकार : बप्पी लाहिरी *
गायक : किशोर कुमार *
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चलते चलते, मेरे ये गीत याद रखना,
कभी अलविदा ना कहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।
रोते हंसते, बस यूंही तुम,
गुनगुनाते रहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।।  (०)
*
प्यार करते-करते
हम तुम कहीं खो जायेंगे ।
इन्हीं बहारों के
आंचल में थकके सो जायेंगे ।
सपनों को फिर भी, 
तुम यूंही सजाते रहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।। (१)
*
बीच राह में दिलवर,
बिछड़ जायें कहीं हम अगर ।
और सूनी-सी लगे तुम्हें
जीवन की ये डगर ।
हम लौट आयेंगे,
तुम यूंही बुलाते रहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।
कभी अलविदा ना कहना ।। (२)
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हिन्दी-गीतम् : चलते-चलते *
मूलस्वरानुकूल-संस्कृत-गीतानुवादक: -
डा. हरेकृष्ण-मेहेर:

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अयने अयने, मम गीतं सुस्मरेदम्,
कदा वद चिरं मा विदायम्,
कदा वद चिरं मा विदायम् ।
रुदिते हसिते, त्वं नन्वेवम्,
गुञ्ज सदा सुगेयम् । 
कदा वद चिरं मा विदायम्,
कदा वद चिरं मा विदायम् ।। (०)
*
प्रेम्णि हि भाव-रतौ
अहं त्वं क्व वा स्याव लुप्तौ ।
एतद्-वसन्तभरे 
अञ्चले क्लान्तौ स्याव सुप्तौ ।
स्वप्नालीं सुतराम्,
समलङ्कुरु नूनं त्वमेवम् ।
कदा वद चिरं मा विदायम्,
कदा वद चिरं मा विदायम् ।। (१)
*
मध्य-पथे प्रियात्मन् !
वियुक्त: क्व नु वा यद्यहम् ।
शून्य इव प्रतीयते
जीवन-मार्गस्तेsयम् ।
प्रत्यागच्छेयम्,
आकारय मां हि त्वमेवम् ।
कदा वद चिरं मा विदायम्,
कदा वद चिरं मा विदायम् ।। (२)
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(ज्ञातव्य :
इस गीत में मैंने "विदाय" शब्द संस्कृत में प्रयोग किया है । इससे पहले भी मेरी कविताओं में प्रयोग किया है, हिन्दी के "बिदाई" शब्द के लिए । संस्कृत में "विदाय:" शुद्ध शब्द है, प्रस्थान काल में अनुज्ञा या 'गमनानुमति' अर्थ है । द्रष्टव्य : शब्दकल्पद्रुम ग्रन्थ । मेरी जानकारी में आधुनिक संस्कृत में मैंने "विदाय:" शब्द का प्रथम एवं नूतन प्रयोग किया है ।) 
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Translation done for popularisation of Sanskrit and  service to the nation.
Courtesy and gratitude to:
Film "Chalte Chalte"
A Tribute to the Great Music Director Sri Bappi Lahiri.

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Translation Date : 
27-2-2022
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Related 
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Chalachitra-Gita-Sanskritayanam : चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम् :
Link:  
http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

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Biodata :
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html?m=0
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Sanskrit Version Lyrics of 'Jhilmil Sitaron Ka Aangan Hoga'. By Dr. Harekrishna Meher

Sanskrit Version Lyrics of Hindi Film Song
"Jhilmil Sitaron ka Aangan Hoga"
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As per Original Hindi Tune,
Translated by : 
Dr. Harekrishna Meher  

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भविताङ्गणं स्फुरत्-तारका-पुञ्जम्,
भविता श्रावणो वै वर्षन् सुगुञ्जम् । 

एवं शोभन-स्वप्नो भविता जीवनं नैजम् ।।(०) 

*
प्रेम्णो रथ्यायां निर्मास्यावो वासं लघुमेकम्, 
सूनस्याभावे कण्टकै: मण्डितं कुर्यावस्तम् । 
भवितोद्यानाद् वनं चैतद् मनोज्ञम् ।
भविता श्रावणो वै वर्षन् सुगुञ्जम् ।। (१)
*
त्वन्नेत्राभ्यां सम्पूर्णं लोकिष्येsहं संसारम्,
एतत्-पारं लोकिष्ये वा लोकिष्ये तत्-पारम् ।
मन्नेत्रे दर्शनं भविता तवैवम् ।
भविता श्रावणो वै वर्षन् सुगुञ्जम् ।। (२)
*
तद् वै मत्त-समीरस्यावां वेगौ नु भविष्याव:,
नेत्रं सौम्य-स्वप्नानां गवाक्षो भविता हि स्व: ।
मुकुरो ह्याशानां भविता च स्वान्तम् ।
भविता श्रावणो वै वर्षन् सुगुञ्जम् ।। (३)
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Original Hindi Song:
Film : Jeevan Mrityu (1970)
Lyrics : Anand Bakshi
Music : Laxmikant Pyarelal
Singers : Md. Rafi and Lata Mangeshkar
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झिलमिल सितारों का आंगन होगा,
रिमझिम बरसता सावन होगा ।
ऐसा सुन्दर सपना अपना जीवन होगा ।। (०)
*
प्रेम की गली में एक छोटा-सा घर बनाएंगे,
कलियां ना मिले ना सही, कांटों से सजाएंगे ।
बगिया से सुन्दर वो वन होगा ।
रिमझिम बरसता सावन होगा ।। (१)
*
तेरी आंखों से सारा संसार मैं देखूंगी,
देखूंगी इस पार या उस पार मैं देखूंगी ।
नैनों को तेरा ही दरशन होगा ।
रिमझिम बरसता सावन होगा ।। (२) 
*
फिर तो मस्त हवाओं के, हम झोंके बन जाएंगे,
नैना सुन्दर सपनों के, झरोके बन जाएंगे ।
मन आशाओं का दरपन होगा ।
रिमझिम बरसता सावन होगा ।। (३)
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Translated  8-8-2021
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Acknowledgments and gratitude to Film "Jeevan Mrityu".
Translated for popularization of Sanskrit and service to the nation.
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Related Link:
Chalachitra-Gita-Sanskritayanam:
http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html 
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