Sunday, November 21, 2021

Jeena Yahaan Marnaa Yahaan: Sanskrit Version Lyrics (इह जीवनम्, मरणं च स्वम्) by Dr. Harekrishna Meher

Sanskrit Version Lyrics of Hindi Song 
"Jeena Yahaan Marnaa Yahaan" 
*
Sanskrit Translation 
* इह जीवनम्, मरणं च स्वम् *
(As per Original Tune) by : 
Dr. Harekrishna Meher 
------------- 
Film : Mera Naam Joker 
Lyricis : Shailendra 
Music : Shankar Jaikishan 
Singer : Mukesh 
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मूल हिन्दी गीत : जीना यहां मरना यहां 
चलचित्र : मेरा नाम जोकर 
गीतकार : शैलेन्द्र 
संगीतकार : शंकर जयकिशन 
गायक : मुकेश 
----------------------------- 
जीना यहां, मरना यहां ।  
इसके सिवा जाना कहां । 
जी चाहे जब हमको आवाज़ दो, 
हम हैं वहीं, हम थे जहां, 
अपने यहीं, दोनों जहां, 
इसके सिवा जाना कहां ।। (०) 
*
ये मेरे गीत जीवन-संगीत  
कल भी कोई दोहराएगा । 
जग को हंसाने बहुरूपिया 
रूप बदल फिर आएगा । 
स्वर्ग यहीं, नर्क यहां, 
इसके सिवा जाना कहां ।। (१) 
*
कल खेल में हम हों न हों 
गर्दिश में तारे रहेंगे सदा । 
भूलोगे तुम, भूलेंगे वो 
पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा । 
रहेंगे यहीं, अपने निशां, 
इसके सिवा जाना कहां ।। (२) 
========= 

हिन्दी गीत : जीना यहां मरना यहां 
मूलस्वरानुकूल-संस्कृत-गीतानुवादक: 
डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
----------- 
इह जीवनम्, मरणं च स्वम्, 
एतद् विना  क्व प्रस्थेयम् । 
आकारय त्वं यदेच्छा ते माम्,  
तत्रास्म्यहम्, यत्रैवासम् । 
समया हि स्वम्, लोक-द्वयम् । 
एतद् विना  क्व प्रस्थेयम् ।। (०) 
*
गीतं ममेदं जीव-संगीतम्,   
श्वोsपि नु कश्चित् पुनरुद्गाता । 
जगद् हासयितुं बहुरूपी को 
रूपान्तरं वहन् आयाता । 
इह वै द्वयम्, स्वर्गो नरकम्, 
एतद् विना  क्व प्रस्थेयम् ।। (१) 
*
श्व: क्रीड़ायां भवेयं न वा, 
स्थास्यन्ति चक्रे तारा: सन्ततम् । 
विस्मर्ता त्वम्, विस्मर्ताsसौ, 
वर्तिष्येsहं किन्तु तेsनारतम् । 
इह वर्तिता, चिह्नं स्वकम् । 
एतद् विना  क्व प्रस्थेयम् ।। (२) 
===== 
Translated for popularisation of Sanskrit and service to the nation. 
Courtesy and gratitude to 
Film 'Mera Naam Joker' (1970)
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Related Link : 
http://hkmeher.blogspot.com/2021/11/jeena-yahaan-marnaa-yahaan-sanskrit.html 
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Chalachitra-Gita-Sanskritayanam: 
http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html?m=1
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Rote Hue Aate Hain Sab: Sanskrit Version Lyrics (सर्वो रुदन् आयाति वै) by: Dr. Harekrishna Meher

Sanskrit Version Lyrics of Original Hindi Song 
"Rote Hue Aate Hain Sab" 
(रोते हुए आते हैं सब)
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Sanskrit Translation  
* सर्वो रुदन् आयाति वै * 
 (As per Original Tune) : 
By Dr. Harekrishna Meher 
-------- 
Film : Muqaddar Ka Sikandar 
Hindi Lyrics : Anjaan 
Music : Kalyanji Anandji 
Singer : Kishore Kumar *
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मूल हिन्दी गीत :  'रोते हुए आते हैं सब' * 
चलचित्र : मुकद्दर का सिकन्दर  
गीतकार : अनजान   
संगीतकार : कल्याणजी आनन्दजी  
गायक : किशोर कुमार  * 
=======
रोते हुए आते हैं सब 
हंसता हुआ जो जायेगा । 
वो मुकद्दर का सिकन्दर 
जानेमन ! कहलायेगा ।। (०)
*
वो सिकन्दर क्या था जिसने 
जुल्म से जीता जहां । 
प्यार से जीते दिलों को 
वो झुका दे आसमां । 
जो सितारों पर कहानी 
प्यार की लिख जायेगा । 
वो मुकद्दर का सिकन्दर 
जानेमन ! कहलायेगा ।। (१)
जिन्दगी तो बेवफा है, 
एकदिन ठुकराएगी, 
मौत महबूबा है अपने 
साथ लेकर जायेगी । 
मरके जीने की अदा जो 
दुनिया को सिखलाएगा । 
वो मुकद्दर का सिकन्दर  
जानेमन ! कहलायेगा ।। (२) 
हमने माना ये ज़माना 
दर्द की जागीर है, 
हर कदम पर आंसुओ की 
एक नई जंजीर है । 
साजे-गम पर जो खुशी के 
गीत गाता जायेगा । 
वो मुकद्दर का सिकन्दर  
जानेमन ! कहलायेगा ।। (३) 
===== 

हिन्दीगीतम् : रोते हुए आते हैं सब * 
मूलस्वरानुकूल-संस्कृत-गीतानुवादक: - 
डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
------- 
सर्वो रुदन्  आयाति वै 
विकीर्य हासं यो गन्ता ।
भाग्यविजयी इत्येवासौ 
प्रियात्मन् ! गदितो हि स्यात्  ।। (०) 
*
सिकन्दरोsसौ  को यो जितवान् 
कर्मभि: क्रूरै-र्भुवम् । 
हृद् जितं वै   येन प्रेम्णा 
व्योम कर्त्ताsसौ नतम् । 
तारा-वृन्दे  प्रणय-गाथां 
यो जनो ननु लेखिता । 
भाग्यविजयी इत्येवासौ  
प्रियात्मन् ! गदितो हि स्यात् ।। (१) 
*
जीवनं विश्वास-रहितम् 
एकद्यु: प्रत्याख्याता । 
अस्ति मृत्यु:  तत्प्रियतमा 
नीत्वा साकं  प्रस्थाता । 
जीवन-रीते:  शिक्षणं वै  
मृत्वा यो जगते दाता । 
भाग्यविजयी इत्येवासौ 
प्रियात्मन् ! गदितो हि स्यात् ।। (२)
सम्मतं मे, भुवनमेतद् 
वेदनाया: स्वं धनम् । 
प्रतिपदं वै  लोतकानां 
शृङ्खलं चैकं नवम् । 
दु:ख-भरिते वाद्ये गायन्  
हर्ष-गीतं  यो गन्ता । 
भाग्यविजयी इत्येवासौ 
प्रियात्मन् ! गदितो हि स्यात् ।। (३) 
==== 
(ज्ञातव्य : 
'सिकन्दरोsसौ' शब्द के स्थान पर विकल्प में 
सुविधानुसार 'स्कन्दरोsसौ' शब्द गाया जा सकता है । 
* 'जानेमन' शब्द के लिए मैंने एक नया शब्द बनाया है 'प्रियात्मन्' ।)
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Translation done for popularisation of Sanskrit and  service to the nation. 
Courtesy and gratitude to: 
Film "Muqaddar Ka Sikandar"
Translation Date :  
21-8- 2021.
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Related Link : 
*
Chalachitra-Gita-Sanskritayanam : चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम् : 
Link: 
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Wednesday, November 17, 2021

Raghuvansha: Canto-3: Odia Version: Dr.Harekrishna Meher

RAGHUVAMSHA MAHAKAVYA (Canto-3rd) * 
Original Sanskrit Epic Poem by: Mahakavi Kalidasa *  
Odia Metrical Translation by: 
Dr. Harekrishna Meher 
(Taken from Complete Odia Version) 
रघुवंश महाकाव्य (तृतीय सर्ग) *  
रघुङ्क जन्म एवं राज्याभिषेक * 
(ओड़िआ बङ्गळाश्री रागरे पद्यानुवाद ) 
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Canto-3rd : 
Birth and Rajyaabhisheka of King Raghu. 
(Translations done during 1975-1976)   
* * * * 
Published in BARTIKA, Famous Literary Quarterly, 
MahaDashahara Special Issue, October-December 2021,  
Pages 1039-1066. 
Saraswata Sahitya Sanskrutika Parishad, 
Dasharathapur, Jajpur, Odisha. 
* 
For examples, Two Translated Verses 
with Original Sanskrit, shown in Devanagari and Odia Scripts.
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निधान-गर्भामिव सागराम्बरां 
शमीमिवाभ्यन्तर-लीन-पावकाम् । 
नदीमिवान्त:सलिलां सरस्वतीं 
नृप: ससत्त्वां महिषीममन्यत ।। (रघु. ३/९) 
* * 
गरभधारिणी       राणीङ्कु एपरि 
         मणिले निजे राजन, 
बसुन्धरा यथा       धारण करिछि 
          अमूल्य दिव्य रतन । 
शमीलता येह्ने       गोपने बह्निकि 
          बहिथाए अभ्यन्तरे, 
सरस्वती नदी         स्वउदरे यथा 
          उदक धारण करे ।। 
(In Odia Script) 
ଗରଭଧାରିଣୀ       ରାଣୀଙ୍କୁ ଏପରି 
       ମଣିଲେ ନିଜେ ରାଜନ, 
ବସୁନ୍ଧରା ଯଥା        ଧାରଣ କରିଛି 
        ଅମୂଲ୍ୟ ଦିବ୍ୟ ରତନ । 
ଶମୀଲତା ଯେହ୍ନେ  ଗୋପନେ ବହ୍ନିକି 
        ବହିଥାଏ ଅଭ୍ୟନ୍ତରେ, 
ସରସ୍ବତୀ ନଦୀ      ସ୍ବଉଦରେ ଯଥା 
        ଉଦକ ଧାରଣ କରେ ।। 
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हरिर्यथैक: पुरुषोत्तम: स्मृत: 
महेश्वरस्त्र्यम्बक एव नापर: । 
तथा विदुर्मां मुनय: शतक्रतुं 
द्वितीयगामी न हि शब्द एष न:॥ (रघु. ३/४९) 
* * 
(In Devanagari Script) : 
*
येपरि बिष्णु हिं      बिश्वे परिचित 
         पुरुषोत्तम नामरे, 
महेश्वर बोलि    शिब एका ख्यात 
         अन्य के होइ न पारे । 
सेपरि मोते हिं      शतक्रतु बोलि 
        मुनिगण थान्ति कहि, 
मो ब्यतीत अन्य  काहारिकु बोध 
        न कराए नाम एहि ॥ 
*
(In Odia Script) 
ଯେପରି ବିଷ୍ଣୁ ହିଁ      ବିଶ୍ବେ ପରିଚିତ 
         ପୁରୁଷୋତ୍ତମ ନାମରେ, 
ମହେଶ୍ବର ବୋଲି  ଶିବ ଏକା ଖ୍ୟାତ 
      ଅନ୍ୟ କେ ହୋଇ ନ ପାରେ । 
ସେପରି ମୋତେ ହିଁ   ଶତକ୍ରତୁ ବୋଲି 
           ମୁନିଗଣ ଥାନ୍ତି କହି, 
ମୋ ବ୍ୟତୀତ ଅନ୍ୟ  କାହାରିକୁ ବୋଧ 
        ନ କରାଏ ନାମ ଏହି ।। 
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Related Links 
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Odia Version of Raghuvamsha: 
* * * 
Raghuvamsha: Canto-3: Odia Version: Blog Link : 
Facebook Link : 
Some Scanned Pages of the Published Odia Version (Canto-3rd) 
of Raghuvamsha Mahakavya from 'Bartika' Magazine are posted here. 
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Wednesday, October 6, 2021

श्रीनवदुर्गा-वन्दनम् (Sri-NavaDurga-Vandanam) : Dr. Harekrishna Meher

* SRI-NAVADURGA-VANDANAM * 
(Prayer to Goddess Sri-NavaDurga) 
By: Dr. Harekrishna Meher 
============== 
* श्रीनवदुर्गा-वन्दनम् * 
रचयिता - हरेकृष्ण-मेहेर: 
============== 
जगद्-वन्द्या नवदुर्गा देव्य: सुदिव्य-मातर: । 
आद्यं नुम: शैलपुत्रीं  द्वितीयं ब्रह्मचारिणीम् ।। (१) 
चन्द्रघण्टां तृतीयं च  कुष्माण्डां चतुर्थं तथा ।  
पञ्चमं स्कन्दमातरं  षष्ठं कात्यायनीं नुम: ।। (२) 
*
कालरात्रिं सप्तमं च  महागौरीं नुमोsष्टमम् ।  
नवमं सिद्धिदात्रीं च  सुभक्त्या प्रणता वयम् ।। (३) 
*  
प्रयच्छन्तु शुभं देव्य:  सम्पदां चानुकम्पया । 
यातु दुर्भावनास्माकं  भातु चाध्यात्मिकं बलम् ।। (४) 
*
तमो विनश्यतु चित्ते  दत्त मोदं हे मातर: ! 
युष्माकं चरणाम्बुजे  सप्रणामं भजामहे ।। (५)
आदिशक्ते ! भक्तप्रिये ! देवि दुर्गे ! नमो नमः। 
एकमेव स्वरूपं ते  नवधा परिकीर्त्तितम् ।। (६) 
*
शम्भोरर्द्धाङ्गिनी त्वं वै  मङ्गला सिद्धिदायिनी । 
प्रसादैस्ते श्रीसमृद्धि: सुखं शान्ति: प्रवर्द्धताम् ।। (७) 
क्षमस्व न: सर्वदोषं  दुष्टदैत्य-निपातिनि ! 
तव स्नेह-दृष्टिपात:  कष्टं हरतु सर्वदा ।। (८) 
*
यातु नाशं पापताप-दु:खशोक-रुजादिकम् । 
महायुधे ! महामाये ! स्वस्तिं देहि नमोsस्तु ते ।।(९) 
*
नवदुर्गा-वन्दनेयं  महादेव्या मुदावहा । 
कल्याणं तनुतां लोके हरतां कलि-कल्मषम् ।। (१०) 
============= 
(Included in * Stavaarchana-Stavakam * Stotra-kavyam) 
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YouTube Video Link : 
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( Sanskrit Slokas in Odia Script) 
* ଶ୍ରୀନବଦୁର୍ଗା-ବନ୍ଦନମ୍ * 
ରଚୟିତା - ହରେକୃଷ୍ଣ-ମେହେରଃ 
============= 
ଜଗଦ୍-ବନ୍ଦ୍ୟା ନବଦୁର୍ଗା ଦେବ୍ୟଃ ସୁଦିବ୍ୟ-ମାତରଃ । 
ଆଦ୍ୟଂ ନୁମଃ ଶୈଲପୁତ୍ରୀଂ ଦ୍ବିତୀୟଂ ବ୍ରହ୍ମଚାରିଣୀମ୍।।(୧)  
ଚନ୍ଦ୍ରଘଣ୍ଟାଂ ତୃତୀୟଂ ଚ  କୁଷ୍ମାଣ୍ଡାଂ ଚତୁର୍ଥଂ ତଥା । 
ପଞ୍ଚମଂ ସ୍କନ୍ଦମାତରଂ  ଷଷ୍ଠଂ କାତ୍ୟାୟନୀଂ ନୁମଃ ।। (୨) 
କାଲରାତ୍ରିଂ ସପ୍ତମଂ ଚ  ମହାଗୌରୀଂ ନୁମୋଽଷ୍ଟମମ୍ । 
ନବମଂ ସିଦ୍ଧିଦାତ୍ରୀଂ ଚ  ସୁଭକ୍ତ୍ୟା ପ୍ରଣତା ବୟମ୍ ।। (୩) 
ପ୍ରୟଚ୍ଛନ୍ତୁ ଶୁଭଂ ଦେବ୍ୟଃ  ସମ୍ପଦାଂ ଚାନୁକମ୍ପୟା । 
ୟାତୁ ଦୁର୍ଭାବନାସ୍ମାକଂ  ଭାତୁ ଚାଧ୍ୟାତ୍ମିକଂ ବଲମ୍ ।। (୪) 
ତମୋ ବିନଶ୍ୟତୁ ଚିତ୍ତେ  ଦତ୍ତ ମୋଦଂ ହେ ମାତରଃ ! 
ୟୁଷ୍ମାକଂ ଚରଣାମ୍ବୁଜେ  ସପ୍ରଣାମଂ  ଭଜାମହେ ।। (୫) 
ଆଦିଶକ୍ତେ ! ଭକ୍ତପ୍ରିୟେ ! ଦେବି ଦୁର୍ଗେ ! ନମୋ ନମଃ । 
ଏକମେବ ସ୍ବରୂପଂ ତେ  ନବଧା ପରିକୀର୍ତ୍ତିତମ୍ ।। (୬) 
ଶମ୍ଭୋରର୍ଦ୍ଧାଙ୍ଗିନୀ ତ୍ୱଂ ବୈ ମଙ୍ଗଲା ସିଦ୍ଧିଦାୟିନୀ । 
ପ୍ରସାଦୈସ୍ତେ ଶ୍ରୀସମୃଦ୍ଧିଃ ସୁଖଂ ଶାନ୍ତିଃ ପ୍ରବର୍ଦ୍ଧତାମ୍ ।। (୭) 
କ୍ଷମସ୍ଵ ନଃ ସର୍ବଦୋଷଂ  ଦୁଷ୍ଟଦୈତ୍ୟ-ନିପାତିନି ! । 
ତବ ସ୍ନେହ-ଦୃଷ୍ଟିପାତଃ  କଷ୍ଟଂ ହରତୁ ସର୍ବଦା ।। (୮) 
ୟାତୁ ନାଶଂ ପାପତାପ-ଦୁଃଖଶୋକ-ରୁଜାଦିକମ୍ । 
ମହାୟୁଧେ ! ମହାମାୟେ ! ସ୍ଵସ୍ତିଂ ଦେହି ନମୋSସ୍ତୁ ତେ ।।(୯) 
ନବଦୁର୍ଗା-ବନ୍ଦନେୟଂ  ମହାଦେବ୍ୟା ମୁଦାବହା । 
କଲ୍ୟାଣଂ ତନୁତାଂ ଲୋକେ ହରତାଂ କଲି-କଲ୍ମଷମ୍।।(୧୦) 
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Facebook Link : 

Sunday, September 12, 2021

Svasti-Vaachana-Gitika (स्वस्तिवाचन-गीतिका): Dr.Harekrishna Meher

* Svasti-Vaachana-Gitika * 
(Original Sanskrit Song) 
By Dr. Harekrishna Meher 
------------- 
* स्वस्तिवाचन-गीतिका *
रचयिता - डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
======== 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्,  स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (०) 
*
स्वमातृभूमी भारत-राष्ट्रम्, 
जगत्यर्चितं चर्चित-शास्त्रम् । 
धाम सुधान्यं कला-निधानम्, मणी-काञ्चनम् ।
सदा तदर्थं हृदा वन्दनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१) 
*
भारतीय-संस्कृतेर्महत्त्वम्, 
मानवताया दर्शन-तत्त्वम् । 
इहैक-नीड़ं विश्वजनीनम्, शाश्वतं धनम् ।  
सदा तदर्थं सद्-विवेचनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (२) 
ध्वजं त्रिरङ्गं देश-गौरवम्, 
समता-मैत्री-शान्ति-वैभवम् । 
राजते रम्यं सौम्य-पावनम्, शौर्य-केतनम् ।  
सदा तदर्थं मुदा वन्दनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (३)
भारते त्रयी सैन्यवाहिनी, 
सैव वैरिणां दैन्यदायिनी । 
देश-रक्षणे दत्त-जीवनम्, सत्प्रयोजनम् । 
अस्ति तदर्थं हार्द-वन्दनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (४) 
भारतभूति-र्गिरा संस्कृतम्, 
भाषा-जननी जनैरादृतम् । 
नित्य-नूतनं युग-स्पन्दनम्, सुधासेचनम् ।
अस्ति तदर्थम्, आस्तिकायनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (५) 
विश्वमङ्गला विविधा विद्या, 
सादर-वेद्या  सदानवद्या । 
ज्ञानमुज्ज्वलं तमोनाशनम्, दिव्य-लोचनम् । 
अस्ति तदर्थं समाराधनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (६) 
आद्य-गुरुवरौ मातापितरौ, 
सन्तान-हिते नित्य-तत्परौ । 
तयो: सुगन्धं परमानन्दम्, प्रेम-बन्धनम् । 
अस्ति तदर्थं भक्ति-पूजनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (७) 
हन्ति गुरुर्वै हृदय-ध्वान्तम्, 
ज्वालयन् सदा ज्ञान-सुदीपम् । 
मार्गदर्शनं शुभालोकनम्, दोषमोचनम् । 
तस्मै नमनं साभिवादनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (८) 
चराचरमिदं येन निर्मितम्, 
ऊर्मिल-नादं रम्य-नामितम् । 
स हि परमेश: सदा नमस्य:, भक्तिभाजनम् । 
सदा तदर्थं सुनीराजनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (९) 
नारी-पुरुषौ रथे द्वि-चक्रम्, 
द्वयो: साध्यते गृहस्थ-लक्ष्यम् । 
सृष्टि-विधाने सन्निबन्धनम्, सुसङ्कल्पनम् । 
अस्ति तदर्थं भाव-चन्दनम्,  स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१०)  
सुरसा भव्या: प्रतिमा देव्या:, 
वहन्ति महिला गुणान् पृथिव्या: ।
सुन्दरताया: सन्निदर्शनम्, स्वान्त-मोहनम् । 
अस्ति तदर्थं प्रणत्यर्च्चनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (११) 
प्रकृतेर्जन्या  वन्य-सम्पदा, 
उद्भित्-सकला लोक-जीवदा । 
स्थल-जल-नभगं जगन्मण्डनम्, समं साधनम् । 
अस्ति तदर्थं काम्य-सेवनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१२)  
प्रिय-सङ्गीतं रामणीयकम्, 
साहित्य-कला-नाटकादिकम् । 
सुप्रसादनं रसास्वादनम्, मनोमोदनम् । 
अस्ति तदर्थं स्ववातायनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१३) 
सन्त: समाज-सुसंस्कारका:,
सन्ति लेखका दिशां दर्शका: ।  
सुप्रतिभाया नव्य-सर्जनम्, समुद्भावनम् ।
अस्ति तदर्थं पुण्य-चिन्तनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१४) 
वैज्ञानिकाश्च वर-क्रीड़का:, 
देश-सम्मान-समुन्नायका: । 
विविधे क्षेत्रे महदवदानम्, यशोवर्धनम् । 
अस्ति तदर्थं साभिनन्दनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१५)
स्वस्तिवाचका भारतार्च्चका:, 
लोक-हितार्थं लग्न-मनस्का: । 
कृते च तेषां ससम्माननम्, सुवर्धापनम् । 
अस्ति तदर्थं पूत-भावनम्, स्वस्तिवाचनम् । 
स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम्, स्वस्तिवाचनम् ।। (१६) 
===== 
(इयं गीतिका कहरवा-तालस्य मध्यलयेन परिवेषणीया ।) 
* * * 

(From Original Sanskrit Gitikavya * Svasti-Kavitanjalih * 
of Harekrishna Meher) 
= = = = 

Svasti-Kavitanjalih (Sanskrit Gitikavya): स्वस्तिकविताञ्जलि: : 

https://hkmeher.blogspot.com/2022/07/svasti-kavitanjalih-sanskrit-gitikavya.html

= = = = 



Saturday, August 28, 2021

INTERVIEW with Dr. Harekrishna Meher: By Sri Sunil Joshi: All India Radio Delhi: Sanskrit Saptahiki Program: June 2021

SPECIAL INTERVIEW with 
Dr. HAREKRISHNA MEHER 
(Modern Poet and Retired Sanskrit Prof. Higher Education, Odisha) 
Interviewer : Sri SUNIL JOSHI 
In "Sanskrita-Saptahiki" Program, 
ALL INDIA RADIO, DELHI. 
Broadcast on FM Gold Channel on 12 June 2021, Saturday at 11.20 am. 
Recast on 13 June 2021, Sunday at 11.20 am.
*
Courtesy : Thanks and Gratitude to 
All India Radio, Delhi. 
Video Provided by: Sri Sunil Joshi. 
Video Edited by: Dr. Harekrishna Meher 
==== 
Video : YouTube Link : 
HKMeher Channel: 
======= 
विशेष-साक्षात्कार: - 
आधुनिक-कविना डा. हरेकृष्ण-मेहेरेण साकम् । 
उपस्थापना : श्रीमान् सुनील: जोशी * 
आकाशवाणी दिल्ली. 
"संस्कृत-साप्ताहिकी" कार्यक्रमे 
१२ जून् २०२१ दिनाङ्के दिवा ११.२० वादने प्रसारित: । 
पुनः प्रसारित: १३ जून् २०२१ दिनाङ्के रविवासरे ११.२० वादने । 
* 
कृतज्ञता-ज्ञापनम् : आकाशवाणी दिल्ली । 
वीडियो सम्पादना-प्रस्तुति: - डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
===== 

Related Links : 
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Twitter Link: 
Interview in 'Bartika' Magazine (Hindi Version): 
Sanskrit Saptahiki: Akashvani Delhi Interview: 
*
Biodata (English) : 
Contributions to Sanskrit Literature : 

===== 
Translated Works: 
*  
Complete Tri-lingual Tapasvini Mahakavya : 
Kosali Meghaduta : 
Meghaduta (Odia Version): 
Jahaan Daal Daal Par : Sanskrit Version Song : 
*
 
चलचित्र गीत-संस्कृतायनम् : 
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Related Interview Links : 
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Tuesday, August 3, 2021

Sansaar Ki Har Shay Ka : Sanskrit Version (एकैक-पार्थिव-विषये): Dr. Harekrishna Meher

Original Hindi Film Song : 
संसार की हर शय का *  
‘Sansaar Ki Har Shay Ka’ * Film ‘Dhund’ (1973) 
Sanskrit Translation by :  Dr. Harekrishna Meher 
(As per Original Hindi Tune) 
Sanskrit Version Lyrics : एकैक-पार्थिव-विषये * 
‘Ekaika-Paarthiva-Vishaye’ *  
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मूलहिन्दीगीत : संसार की हर शय का *  
(चलचित्रम् : धुंध, १९७३) 
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः 
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एकैक-पार्थिव-विषये, इयती वै कथास्त्येवम् । 
धूमिकात एवागमनम्, अधिधूमिकं प्रस्थानम् ॥ (०) 
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मार्गो नु कुतस्त्योऽयम्, मार्गोऽस्ति क्व यावदयम् । 
यात्री न कोऽपि गुह्यं  समवैति न वेत्तीदम् ॥ (१) 
*
एक-निमिषस्य पक्ष्मणि वै, भुवनं स्थितं विश्वमिदम् । 
निमिष-निमीलनं यावत्, क्रीड़ा-सकलं रम्यम् ॥ (२) 
*
को वेद किं कस्मिन् निमिषे, क्व विवर्त्ते वा किं घटनम् । 
अस्मिन् पथे हे यात्रिन् !  व्याजो विवर्त्त-सर्वम् ॥ (३) 
*
सर्वे वयं क्रीड़नकम्, एक-क्रीड़कस्य ह्येवम् । 
येनाद्य शत-शतवर्षं  क्रीड़ा रचनीयेयम् ॥ (४)  
*
लालालाऽला लाला लालालाऽ, लालालाऽलाऽ लालालालाऽ । 
लालालाऽला लालालाऽलाऽ, लालालाऽ लालाऽला लाऽला ॥ 
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 (Translated for popularisation and service to Sanskrit and the nation. 
Courtesy and Acknowledgements:  Film * Dhund’ (1973)    
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YouTube Video : 
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FaceBook : Link : 
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हिन्दीगीत : संसार की हर शय का ‍*   
चलचित्र : धुंध (१९७३) *  
गीतकार : साहिर लुधियानवी * 
सङ्गीतकार : रवि *  
गायक : महेन्द्र कपूर  * 
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संसार की हर शय का  इतना ही फसाना है । 
एक धुंध से आना है, एक धुंध से जाना है ॥ (०) 
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ये राह कहाँसे है, ये राह कहाँ तक है । 
ये राज कोई राही, समझा है न जाना है ॥ (१) 
*
एक पल की पलक पर है, ठहरी हुई ये दुनिया । 
एक पल के झपकने तक, हर खेल सुहाना है ॥ (२) 
*
क्या जाने कोई किस पल, किस मोड़ पे क्या बीते । 
इस राह में ऎ राही !  हर मोड़ बहाना है ॥ (३) 
*
हमलोग खिलोने हैं, एक ऎसे खिलाड़ी के । 
जिसको अभी सदियों तक, ये खेल रचाना है ॥ (४) 
*
लालालाऽला लाला लालालाऽ, लालालाऽलाऽ लालालालाऽ । 
लालालाऽला लालालाऽलाऽ, लालालाऽ लालाऽला लाऽला ॥ 
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Related Links : 
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :
Link : 

* * * 
Biodata : Dr. Harekrishna Meher : 
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YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher : 
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VIDEOS of Dr.Harekrishna  Meher : 
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Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels: 
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अनुवादः  - दिनाङ्कः 23 /June/ 2021. 
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Saturday, May 29, 2021

BIODATA (HINDI): Dr. Harekrishna Meher. डा. हरेकृष्ण मेहेर : परिचय-पत्रिका

परिचय-पत्रिका  : डॉ. हरेकृष्ण मेहेर  
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विशेष विवरण के लिये द्रष्टव्य : ENGLISH : Biodata :

http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

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Works and Achievements : Biodata Details : 

http://hkmeher.blogspot.com/2007/07/my-biodata.html

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डॉ. हरेकृष्ण मेहेर 


जन्म-दिनांक : ५ मई १९५६ 
जन्मस्थान : सिनापालि (ओड़िशा) 
पिता : कवि नारायण भरसा मेहेर 
माता : श्रीमती सुमती देवी 
पत्‍नी : श्रीमती कुन्तला कुमारी मेहेर   
मातृभाषा : ओड़िआ 
राष्ट्रीयता : भारतीय * 

शिक्षा :
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* सिनापालि उच्च विद्यालय, माध्यमिक शिक्षापरिषद्, ओड़िशा से 
माट्रिकुलेशन् (१९७१, प्रथम श्रेणी); 
* गङ्गाधर मेहेर महाविद्यालय, सम्बलपुर विश्वविद्यालय से 
प्राक्-विश्वविद्यालय (पी.यू.) - (१९७२) एवं प्रथम वर्ष डिग्री कला (१९७३, प्रथम श्रेणी); 
* रेवेन्शा महाविद्यालय कटक में अध्ययन पूर्वक उत्कल विश्वविद्यालय से
बी.ए. संस्कृत अनर्स, प्रथम श्रेणी में प्रथम (१९७५) ; 
* बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय से तीन उपाधियाँ * *  एम्.ए. संस्कृत, प्रथम श्रेणी में प्रथम, स्वर्णपदक प्राप्त (१९७७),
* पीएच्.डी. संस्कृत (१९८१), डिप्लोमा इन् जर्मन् (१९७९). 

* विशेष विषय : भारतीय दर्शन । 
* पीएच्.डी. शोध-विषय : Philosophical Reflections in the Naishadhacharita.

* बी.ए. संस्कृत आनर्स में सर्वोच्च स्थान अधिकार हेतु 
   रेवेन्शा महाविद्यालय से जगन्नाथ मिश्र स्मारकी पुरस्कार प्राप्त । 

* एम्.ए. संस्कृत परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्ति हेतु 
   बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय-स्वर्णपदक, श्रीकृष्णानन्द पाण्डेय सहारनपुर-स्वर्णपदक, 
   काशीराज-पदक एवं पुरस्कार से सम्मानित । 

* अध्यापक, कवि, गवेषक, समालोचक, प्राबन्धिक, गीतिकार, स्वर-रचनाकार, 
    सुवक्ता एवं सफल अनुवादक के रूप में परिचित । 

* ओड़िआ, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत एवं कोशली – पाँच भाषाओं में मौलिक लेखन 
   तथा अनेक श्रेष्ठ काव्यकृतियों के छन्दोबद्ध अनुवाद । 

* राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रपत्रिकाओं में शोधलेख, प्रबन्ध और कविता आदि प्रकाशित । 
* अनेक मौलिक और अनूदित पुस्तकें प्रकाशित । 

* अन्तर्जाल पर अनेक पत्रिकाओं में तथा अपने वेब्‌साइट् में कई लेख प्रकाशित । 

* विश्वसंस्कृत-सम्मेलनों, राज्यस्तरीय अनेक सम्मेलनों एवं संगोष्ठियों में 
   शोधलेख परिवेषण तथा कवि-सम्मेलनों में सक्रिय योगदान ।

* संस्कृत के सरलीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में विशेष प्रयत्नशील । 
* अपने उद्भावित मौलिक छन्दों में आधुनिक संस्कृत गीति-रचना तथा स्वर-रचना ।

* आकाशवाणी-दूरदर्शन आदि में लेख, परिचर्चा और कविताएँ प्रसारित । 

* डीडी न्यूज् - चैनल दिल्ली के  'वार्तावली' कार्यक्रम में अनेक हिन्दी चलचित्र-गीतों के स्वकृत संस्कृत गीतानुवाद वीडियो प्रसारित एवं यू-ट्यूब् पर स्थापित ।

* पितामह दिवंगत कवि मनोहर मेहेर पश्चिम ओड़िशा के “गणकवि” के रूप में सुपरिचित । 
   कवि-परम्परा से मौलिक सर्जनात्मक-प्रतिभासम्पन्न डॉ. मेहेर की भाषा-साहित्य एवं 
   सङ्गीत कला में विशष अभिरुचि । आधुनिक संस्कृत साहित्य के अन्यतम गीतिकवि के रूप में प्रतिष्ठित ।

* कई उपलक्ष्यों में स्वरचित संस्कृत-गीतियाँ एवं कोशली गीत एकल तथा वृन्दगान के 
   रूप में परिवेषित । 

* हाथरस  उत्तरप्रदेश की लोकप्रिय ‘संगीत’ पत्रिका में अपनी मौलिक नवीन छन्दोबद्ध 
   संस्कृत गीतियों सहित स्वरचित स्वरलिपियाँ प्रकाशित । 
   प्रसिद्ध संगीतकार पण्डित एच्. हरेन्द्र जोशी- रचित स्वरलिपियाँ भी वहाँ प्रकाशित । 
   डॉ. मेहेर-कृत संस्कृत गीत “नववर्ष-गीतिका” की आडियो कैसेट् एवं वीडियो कैसेट् 
   मध्यप्रदेश की रतलाम एवं जावरा आदि नगरियों में स्थानीय टी.वी. चैनलों पर प्रसारित । 

* कुछ विश्वविद्यालयों के प्रस्तुत शोध-ग्रन्थों में तथा अन्यत्र अनेक विद्वानों के शोधलेखों में 
   डॉ. मेहेर संस्कृत कवि एवं मौलिक लेखक के रूप में संस्कृत गीतियों सहित चर्चित । स्वतन्त्ररूप से भी  उनकी संस्कृत काव्यकृतियों पर उच्च शोधकार्य सम्पन्न ।

* कुछ महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में उनकी संस्कृत कविताएं बीए पाठ्यक्रम में अन्तर्भुक्त । ओड़िशा  के उच्च विद्यालय में उनकी संस्कृत कविता पाठ्यपुस्तक में स्थानित ।

* आन्तर्जातिक अनेक जीवनी-ग्रन्थों में परिचयात्मक विवरण प्रकाशित ।
* ओड़िशा साहित्य अकादेमी, भुवनेश्वर  के पूर्वतन सदस्य । 

* अनूदित काव्यों में स्वभावकवि गंगाधर मेहेर के 'तपस्विनी' महाकाव्य के हिन्दी-अंग्रेजी-संस्कृत त्रिभाषी अनुवाद, 'प्रणयवल्लरी' काव्य के हिन्दी-संस्कृत अनुवाद, कवि-कालिदास के 'मेघदूत' का कोशली गीत रूपान्तर, 'कुमारसंभव', 'ऋतुसंहार' एवं 'मेघदूत' का ओड़िआ पद्यानुवाद, कवि-भर्तृहरि-कृत नीति-शृंगार-वैराग्य-शतकत्रय का, कवि-श्रीहर्ष-कृत 'नैषधचरित'(नवम सर्ग)का ओड़िआ पद्यानुवाद, कवि-जयदेव-कृत 'गीतगोविन्द' के ओड़िआ-अंग्रेजी अनुवाद आदि प्रमुख हैं । 
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साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अनुष्ठानों द्वारा सम्मान प्राप्त :
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* “गंगाधर सम्मान” (२००२): सांस्कृतिक परिषद, पाटनागड़. 

* “गंगाधर सारस्वत सम्मान” (२००२) :   गंगाधर साहित्य परिषद, बरपालि.

* “जयकृष्ण मिश्र काव्य सम्मान” (२००३): निखिलोत्कल संस्कृत कवि सम्मेलन, कटक.

* "विद्यारत्न प्रतिभा सम्मान” (२००५): 
राज्यस्तरीय पण्डित नीलमणि विद्यारत्न स्मृति संसद, भुवनेश्वर.

*  "अशोक चन्दन स्मारक गंगाधर  सम्मान" (२००९): 
राज्यस्तरीय स्वभावकवि गंगाधर स्मृति समिति, बरपालि  एवं 
केदारनाथ कला साहित्य संसद, अम्बाभोना.

* "आचार्य प्रफुल्लचन्द्र राय स्मारक सम्मान" (२०१०): 
अकादेमी अफ्‌ बेङ्गली पोएट्रि, कोलकाता.
 
* "हरिप्रिया-मुण्ड स्मारकी गंगाधर मेहेर सम्मान" (२०१०): 
कवि गंगाधर मेहेर क्लब्, बरपालि.

* "डॉ.नीलमाधव-पाणिग्राही सम्मान" (२०१०): ['कोशली मेघदूत' पुस्तक के लिये],
सम्बलपुर विश्वविद्यालय, ज्योतिविहार सम्बलपुर.

* "एवार्ड़् अफ् एप्रिसिएशन्" (जयदेव उत्सव -२००८): ओड़िशी एकाडेमी, लोधी मार्ग, नई दिल्ली.

* "वाचस्पति गणेश्वर रथ वेदान्तालङ्कार-सम्मान" (२०१३):  
 (विश्वसंस्कृत-दिवस-समारोह, पण्डित सम्मिलनी) -
बालाजी मन्दिर सुरक्षा समिति, भवानीपाटना, ओड़िशा.

* "विश्वसंस्कृत-दिवस-सम्मान" (२०१३): 
महाबीर सांस्कृतिक अनुष्ठान, भवानीपाटना, ओड़िशा.

* "एकाम्र सम्मान" (२०१८): 
केदारनाथ गवेषणा प्रतिष्ठान, भुवनेश्वर.

* "गंगाधर मेहेर सम्मान" (२०१८): 
गंगाधर मेहेर प्रतिष्ठान, भुवनेश्वर.

* "राज्यस्तरीय गंगाधर मेहेर स्मृति सम्मान" (२०२०): 
गंगाधर मेहेर स्मृति समिति एवं राजज्योति सेवा समिति, टिटिलागड़, बलांगीर.

* "सर्वश्री साहित्य सम्मान" (२०२१): सर्वश्री सबाखिआ साहित्य संसद, भवानीपाटना, कलाहाण्डि. 

* "गीतिसंस्कृत-महाकवि: राष्ट्रिय सम्मान" (२०२३): लोकभाषा-प्रचार-समिति, पुरी. 

* "व्यासभारती सम्मान" (२०२३): महर्षि व्यासदेव राष्ट्रीय प्राच्यविद्या गवेषणाकेन्द्र, राउरकेला, ओड़िशा. 

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मानपत्र सहित  संवर्धना एवं अभिनन्दन प्राप्त : 

* खरियार साहित्य समिति, राजखरियार (१९९८)
* गदाधर साहित्य संसद, कोमना (१९९८)
* सम्बलपुर विश्वविद्यालय, ज्योतिविहार (२०००)  
* शिक्षाविकाश परिषद, कलाहाण्डि (२००३)
* कलाहाण्डि लेखक कला परिषद, भवानीपाटना (२००३)
*अभिराम स्मृति पाठागार ट्रष्ट, भवानीपाटना (२००६)  
* उदन्ती महोत्सव, सिनापालि, नूआपड़ा (२०१२) 
* बनानी-कवि-सम्मिलनी, कलाहाण्डि-लेखक-कला-परिषद (२०१३)
* गंगाधर सारस्वत समिति, सिनापालि, नूआपड़ा (२०१६)
* निखिल ओड़िशा मेहेर भुलिआ समाज, सम्बलपुर (पद्मपुर महासभा, २०१८)
* सरकारी स्वयंशासित महाविद्यालय, संस्कृत विभाग, भवानीपाटना (२०१८) 

* महर्षिव्यासदेव राष्ट्रीय प्राच्यविद्या-गवेषणा केन्द्र, राउरकेला, ओड़िशा (२०२०) 

* माटिलग्ना साहित्य संसद, मालकानगिरि, ओड़िशा (२०२१)
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अध्यापना :
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* १९८१ से ओड़िशा सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त होकर ओड़िशा शिक्षा सेवा (ओ. ई. एस्.) में संस्कृत अध्यापक के रूप में योगदान । विभिन्न सरकारी महाविद्यालयों में अध्यापना ।
  सरकारी पञ्चायत महाविद्यालय,  बरगड़ (१९८१-१९८८); फकीरमोहन महाविद्यालय, बालेश्वर (१९८८-१९९२);
  सरकारी स्वयंशासित महाविद्यालय भवानीपाटना (१९९२-२०१२);  गंगाधर मेहेर स्वयंशासित महाविद्यालय, सम्बलपुर (२०१२-२०१४).

१९८१ से अध्यापक, १९८६ से वरिष्ठ अध्यापक, १९९४ से रीडर (ओईएस् -१, प्राध्यापक/उपाचार्य), १९९९ से वरिष्ठ उपाचार्य ।

 * गंगाधर मेहेर स्वयंशासित महाविद्यालय, सम्बलपुर में स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के वरिष्ठ रीडर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य सम्पादन करते हुए मई २०१४ में (ओड़िशा शिक्षासेवा-१) सेवा-निवृत्त । 
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प्रमुख साहित्यिक कृतियाँ * 
प्रकाशित : (पुस्तक)
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 (१) पीएच्‌. डी. शोधग्रन्थ “Philosophical Reflections in the Naisadhacarita”
      (ISBN : 81-85094-21-7), पुन्थि पुस्तक, ३६/४बी, विधान सरणी, कोलकाता-४, १९८९.
(२) नैषध-महाकाव्ये धर्मशास्त्रीय-प्रतिफलनम् (शोधपुस्तिका),
      धर्मशास्त्र विभाग, श्रीजगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी, १९९४.
(३) साहित्यदर्पण : अलंकार (ओड़िआ-संस्कृत व्याख्या सहित)
      ISBN: 81-7411-12-7, विद्यापुरी, बालुबजार, कटक-२, १९९५.
(४) श्रीकृष्ण-जन्म (मौलिक ओड़िआ कविता पुस्तक), १९७७.
(५) श्रीरामरक्षा-स्तोत्र (शिवरक्षा-स्तोत्र सहित ओड़िआ छन्दोबद्ध पद्यानुवाद),१९७७.
(६) शिवताण्डव-स्तोत्र (ओड़िआ पद्यानुवाद), १९७८.
(७) विष्णु-सहस्रनाम (ओड़िआ पद्यानुवाद), १९७८.
(८) गायत्री-सहस्रनाम (ओड़िआ पद्यानुवाद), १९८२.
      ५ से ८ प्रकाशक: बाणी भण्डार, ब्रह्मपुर, गञ्जाम, ओड़िशा.  
(९) मनोहर पद्यावली (संपादित), प्रकाशक: श्रीनारायण भरसा मेहेर, मनोहर कवितावास, सिनापालि,                 १९८५.
(१०) मातृगीतिकाञ्जलि: (आधुनिक मौलिक संस्कृत गीतिकाव्य),
        कलाहाण्डि लेखक कला परिषद, भवानीपाटना, १९९७.
(११) तपस्विनी (स्वभावकवि गङ्गाधर मेहेर-कृत ओड़िआ तपस्विनी काव्य का सम्पूर्ण हिन्दी अनुवाद),                 सम्बलपुर विश्वविद्यालय, ज्योतिविहार, सम्बलपुर, ओड़िशा, २०००.
(१२) Tapasvini of Gangadhara Meher (स्वभावकवि गंगाधर मेहेर के।त 'तपस्विनी' काव्य का                 सम्पूर्ण अंग्रेजी अनुवाद), ISBN: 81-87661-63-1, आर्. एन्. भट्टाचार्य, ए-१२७, एच्.वी. टाउन, सोदेपुर,         कोलकाता-७००११०, २००९.
(१३) कोशली मेघदूत (महाकवि कालिदास-कृत मेघदूत काव्य का सम्पूर्ण कोशली गीत रूपान्तर), ISBN:            13-978-93-80758-03-9, तृप्ति प्रकाशन, भुवनेश्वर-७५१००२, ओड़िशा  २०१०. 
(१४) तपस्विनी (स्वभावकवि गङ्गाधर मेहेर-कृत ओड़िआ तपस्विनी काव्य का सम्पूर्ण संस्कृत अनुवाद),              ISBN: 978-81-7110-412-3, परिमल पब्लिकेशन्स्, २७-२८ शक्तिनगर, दिल्ली-७, २०१२.
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प्रकाशित : काव्य पद्यानुवाद : 

याजपुर, ओड़िशा के प्रसिद्ध मुखपत्र "बर्त्तिका" के विभिन्न दशहरा विशेषांकों में कुछ प्रसिद्ध संस्कृत काव्यों के डा. मेहेर-कृत ओड़िआ छ्न्दोबद्ध पद्यानुवाद प्रकाशित : (प्रकाशन वर्ष सूचित):

* नीतिशतक (भर्तृहरि), संपूर्ण, १९९५-९७.
* शृङ्गार-शतक (भर्तृहरि), संपूर्ण, १९९८ . 
* वैराग्य-शतक (भर्तृहरि), संपूर्ण, १९९९. 

* नैषधचरित-नवमसर्ग (श्रीहर्ष),  २०००.

* रघुवंश (कालिदास):
   द्वितीय सर्ग -२००२.  
तृतीय सर्ग -२०२१.                                   षष्ठ-सप्तम सर्ग -२०१८.

* कुमारसम्भव (कालिदास): 
   प्रथम सर्ग - २००५.
   द्वितीय सर्ग - २००६. 
   तृतीय-चतुर्थ सर्ग - २०१९.     
   पञ्चम सर्ग - २००१.
   षष्ठ सर्ग - २०२०.
   सप्तम  सर्ग - २००४.
   अष्टम सर्ग - २००९.

ऋतुसंहार (कालिदास), संपूर्ण, २०१५. 
* मेघदूत (कालिदास), संपूर्ण, २०१७.
* गीतगोविन्द (जयदेव), संपूर्ण, २०१६. 

* श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (व्यादेव)संपूर्ण, २०

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* कोशली मेघदूत (कवि कालिदास के मेघदूत काव्य का संपूर्ण कोशली गीत अनुवाद), 'बर्त्तिका', दशहरा       विशेषांक-२००३.
   (बाद में २०१० में स्वतन्त्र पुस्तक रूप में प्रकाशित) 

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कविवर राधानाथ राय-कृत ओड़िआ कविता “बर्षा” का संस्कृत श्लोकानुवाद  (लोकभाषा-सुश्री: पत्रिका, पुरी, २००६).
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अप्रकाशित (मौलिक): 
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संस्कृत में : 
* पुष्पाञ्जलि-विचित्रा (आधुनिक गीतिकाव्य) 

* स्वस्ति-कविताञ्जलि: (आधुनिक गीतिकाव्य) 

* सारस्वतायनम् (शोध-प्रबन्धावली)

* सौन्दर्य-सन्दर्शनम् (सौन्दर्यशास्त्र-विषयक काव्य)
* सावित्रीनाटकम्
* जीवनालेख्यम् (आधुनिक कविता संग्रह)
* मौन-व्यञ्जना (आधुनिक कविता संग्रह)
* अस्रमजस्रम् (आधुनिक कविता संग्रह)
* हासितास्या वयस्या (हाइकु-सिजो-तान्का कविता संग्रह)
* उत्कलीय-सत्कला (गीतिकाव्य)
* स्तवार्चन-स्तवकम् (स्तोत्रकाव्य)
* सूक्ति-कस्तूरिका (सूक्तिकाव्य)
* मेहेरीय-छन्दोमाला (नव्यछन्द-विषयक कृति).

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ओड़िआ में : 
* आलोचनार पथे (शोध-प्रबन्धावली)
* भञ्जीय काव्यालोचना 
* भञ्ज-साहित्यरे जगन्नाथ तत्त्व  
* घेन नैषध पराये
* ओड़िआ रीति-साहित्यरे दार्शनिक-चिन्तन
* निबन्धायन  
* कबिताबली
* शिखण्डीकाव्य
* ओडिशा वर्णमालार कृत्रिम समस्या
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अंग्रेजी में : 
* Poems of the Mortals
* Glory (Research Articles and Essays)
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हिन्दी में : 
* हिन्दी-सारस्वती (निबन्ध संग्रह)
* कुछ कविता-सुमन  

कोशली में : कोशली गीतमाला  

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अप्रकाशित (अनुवाद) : 
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संस्कृत से ओड़िआ : कुमारसम्भव, रघुवंश.
संस्कृत से हिन्दी : मातृगीतिकाञ्जलि:  
संस्कृत से अंग्रेजी : शिवताण्डव-स्तोत्र, गीतगोविन्द. 
ओड़िआ से हिन्दी : कवि गङ्गाधर मेहेर-प्रणीत ‘प्रणयवल्लरी’, ‘अर्घ्यथाली’, ‘कीचकवध’ काव्य. 
* ओड़िआ से अंग्रेजी : कवि गङ्गाधर मेहेर-कृत 'अर्घ्यथाली'.
* ओड़िआ से संस्कृत : प्रणयवल्लरी, अर्घ्यथाली.
* हिन्दी से संस्कृत : 'चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्' 
(हिन्दी चलचित्र गीतों के मूलस्वरानुसारी गायनानुकूल संस्कृतानुवाद)

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Related Links : 

* Biodata in English : 
http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html 

* Biodata in Hindi : http://hkmeher.blogspot.com/2021/05/biodata-hindi-dr-harekrishna-meher.html

Biodata : (Hindi-English-Sanskrit-Odia) :

http://tapasvini-kavya.blogspot.in/2011/12/biodata-english-hindi-sanskrit-oriya-dr.html
--- 

आखर कलश : AakharKalash: Hindi E-magazine: Biodata:
http://aakharkalash.blogspot.com/2010/05/blog-post_05.html?m=1
--- 

हरेकृष्ण मेहेर से एक साक्षात्कार : हिन्दी अनुवाद ( बर्त्तिका मुखपत्र में प्रकाशित) * 

Interview in Bartika Magazine (Hindi Version):  
http://hkmeher.blogspot.com/2017/11/interview-with-dr-harekrishna-meher-by.html?m=1
--- 

संस्कृत साहित्य को हरेकृष्ण मेहेर का अवदान : 
Contributions of Harekrishna Meher to Sanskrit Literature:
http://tapasvini-kavya.blogspot.com/2013/04/contributions-of-drharekrishna-meher-to.html?m=1
--
* कुछ पुस्तकों की छवि के लिये : 
http://hkmeher.blogspot.com/2010/06/images-of-main-books-of-harekrishna.html 

* विशेष विवरण के लिये द्रष्टव्य : 
Biodata : Works and Achievements : 
http://hkmeher.blogspot.com/2007/07/my-biodata.html  
 = = = = = =

Dr. HAREKRISHNA MEHER 

 Retired Sr. Reader and Head, 

Post-Graduate Department of Sanskrit, 

Gangadhar Meher Autonomous College,

(College with Potential for Excellence), 

SAMBALPUR - 768004. Orissa (India) 

Mobile : + 91- 94373- 62962 

e-mail : meher.hk@gmail.com / 
Blogsite : http://www.hkmeher.blogspot.com 

* * *