My Sanskrit Version Lyrics (पृष्टवानहं विधुम्) of Hindi Song
‘Maine Puchha Chand Se’ (मैंने पूछा चाँद से * Film
‘Abdullah’)
*
Participated in Sanskrit Lyric
Translation Competition
conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD
News Channel, Delhi.
Name enlisted in the Program telecast
on 18--2-2017 at 7 pm.
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It is very interesting to see that my
translation of the first line ‘Maine Puchha Chand Se’
is ‘पृष्टवानहं विधुम्’ and the Winner’s translation of the first line is the same ‘पृष्टवानहं विधुम्’.
is ‘पृष्टवानहं विधुम्’ and the Winner’s translation of the first line is the same ‘पृष्टवानहं विधुम्’.
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For pleasure of reading, my exact
translation as sent for competition is placed here.
Further, a rough recording of this Version in my voice is also presented here for entertainment.
Further, a rough recording of this Version in my voice is also presented here for entertainment.
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New YouTube Video :
Singer : Rajesh Upadhyaya (New Delhi)
Link :
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FaceBook : Link : New Video :
https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/2099049860121212?pnref=story
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FaceBook : Harekrishna Meher : Link :
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YouTube Video : Maine Puchha Chand Se :
Sanskrit Version (Prushtavaan Aham
Vidhum):
Lyrics and Voice By : Dr. Harekrishna Meher
Lyrics and Voice By : Dr. Harekrishna Meher
New YouTube Video :
Singer : Rajesh Upadhyaya (New Delhi)
Link :
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FaceBook : Link : New Video :
https://www.facebook.com/harekrishna.meher.7/posts/2099049860121212?pnref=story
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गीत
: मैंने
पूछा
चाँद
से * चलचित्र : अब्दुल्ला *
गीतकार :
आनन्द
बक्शी * संगीतकार : राहुल देव
बर्मन्
*
गायक
: मोहम्मद
रफी
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मैंने पूछा चाँद से,
कि
देखा
है कहीं, मेरे यार-सा हसीं,
चाँद ने कहा,
चाँदनी
की
कसम, नहीं, नहीं, नहीं
॥ (०)
*
मैने ये हिजाब तेरा ढूँढा,
हर जगह शबाब तेरा ढूँढा ।
कलियों से मिसाल तेरी पूछी,
फूलों में
जवाब
तेरा
ढूँढा
।
मैने पूछा बाग से,
फलक
हो
या
जमीं, ऐसा फूल है कहीं,
बाग ने कहा,
हर
कली
की
कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥
(१)
*
चाल है कि मौज की रवानी,
जुल्फ है
कि
रात
की
कहानी
।
होंठ हैं कि आईने कमल के, आँख है कि मयकदों की रानी ।
मैंने पूछा जाम से,
फलक
हो
या
जमीं, ऐसी मय भी है कहीं,
जाम ने कहा,
मयकशी की कसम,
नहीं, नहीं, नहीं
॥ (२)
*
खूबसूरती जो तूने पायी, लुट गयी खुदा की बस खुदाई ।
मीर की गज़ल कहूँ तुझे मैं, या कहूँ खयाम की रुबायी ।
मैं जो पूछूँ शायरों से,
ऐसा
दिलनशीं, कोई शेर है कहीं,
शायर कहें,
शायरी
की
कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥
(३)
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Sanskrit
Version (As per Original Tuning)
By : Dr. Harekrishna Meher
गीतस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादः
- डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर:
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पृष्टवानहं विधुम्,
मम प्रिया-समा, सुन्दरी क्व वीक्षिता
?
इन्दुरब्रवीत्,
कौमुदी-शापितम्,
न
वै, न
वै, न
वै
॥ (०)
*
ह्री
मया हि मार्गिता तवेयम्, यौवनं
च
मार्गितं समन्तम् ।
त्वदुपमां हि कोरकानपृच्छम्,
संदधौ सुमेषु
तुल्यभावम्
।
वाटिकां च पृष्टवान्, द्यु-धाम्नि वा भुवाम्,
कुत्र पुष्पमीदृशम् ।
आह वाटिका,
मञ्जरी-शापितम्,
न वै, न
वै, न
वै
॥ (१)
*
भाति किं गतिस्तरङ्ग-धारा, चारु-कुन्तला निशीथ-गाथा
।
पद्म-दर्पणौ
प्रियाधरौ
किम्, लोचनं नु मद्य-सद्म-राज्ञी
।
मद्यपात्रमपृच्छम्,
द्यु-धाम्नि
वा
भुवाम्, क्वापि वारुणीदृशी ।
चषकोऽवदत्,
मादिका-शापितम्, न वै,
न
वै, न
वै
॥ (२)
*
रामणीयकं त्वया यदाप्तम्,
भगवतो हृतं
हि
दिव्य-सत्त्वम्
।
त्वां वदानि मीर-गज्जलं
वा, किं खयाम-लेखनी-रुबायीम् ।
यत् कवीन् पृच्छामि कुत्र,
गीतिरस्ति
वा, स्वान्त-मोहिनीदृशी,
कवयोऽवदन्,
कविता-शापितम्,
न वै, न
वै, न
वै
॥ (३)
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Courtesy
: Hindi Film ‘Abdulla’ (1980)
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Related Link :
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’:
चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम् :
Link :
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Biodata :
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