Sunday, August 6, 2017

‘Raahi Manwa Dukh Ki Chinta’ : Sanskrit Version : (Lyrics पान्थ मनः रे ! दुःखज-चिन्ता): Dr. Harekrishna Meher

Original Hindi Film Song : राही मनवा दुख की चिन्ता’ *
‘Raahi Manwa Dukh Ki Chinta’ (Film ‘Dosti’ 1964) 
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Sanskrit Translation by :  Dr. Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit Version Lyrics : पान्थ मनः रे !  दुःखज-चिन्ता * 
‘Paantha Manah Re ! Duhkhaja-Chinta’  
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Participated in Sanskrit Lyric Translation Competition
Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi.
Name enlisted in the Program telecast on 5-8-2017,
Saturday at 9.30 pm and 6-8-2017, Sunday at 12.30 pm.   
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For pleasure of reading, my translation as sent for competition,
not selected, is placed here.  
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हिन्दी-गीत : राही मनवा दुख की चिन्ता’ *
चलचित्रदोस्ती  *
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर:
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दुःखं वा सुखम्,
किमपि नो सङ्गि यदा नित्यं हि   
तद् दुःखं  खलु स्वीकार्यम्,
स्वीक्रियते चेद्  दुःखं नो भावि ॥
*
पान्थ मनः रेदुःखज-चिन्ता बाधते कथम् ?     
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम् ।
सुखमेव पतन्ती छाया, आयाति यातीयम्,
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम् ।
पान्थ मनः रेदुःखज-चिन्ता बाधते कथम् ?     
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम्  ()
*
दूरे हि लक्ष्यम्  अस्तु दूरे  
प्रेम परं नौ  किं न्यूनम्  ?  
चरणे लक्षं कण्टकानाम्,   
एष सहायः  किं न्यूनः
सहगन्ता हि कश्चिद् आत्मीयस्ते ।
सुखमेव पतन्ती छाया, आयाति यातीयम्,
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम् ।
पान्थ मनः रेदुःखज-चिन्ता बाधते कथम् ?     
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम्  ()  
*
भवतीह दुःखे  ज्वलितो वै  
सरणी-दीपो नेत्र-युगे ।
अवनेरियद्-बहु-विशालायाः 
दीर्घे विविक्ते तन्मार्गे ।
सहगन्ता हि कश्चिद् आत्मीयस्ते ।  
सुखमेव पतन्ती छाया, आयाति यातीयम्,
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम् ।
पान्थ मनः रेदुःखज-चिन्ता बाधते कथम् ?     
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम् 
स्वीयः सङ्गी वै दुःखम्  ()
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FaceBook : Link : 
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Original Hindi Song from Film ‘Dosti’  
मूलहिन्दी-गीत : राही मनवा दुख की चिन्ता *
गीतकार मजरूह सुलतानपुरी  *
संगीतकार  : लक्षीकान्त-प्यारेलाल *
गायक  : मोहम्मद-रफी *
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दुःख हो या सुख,
जब सदा संग रहे ना कोय ।
फिर दुख को अपनाइये,
कि जाये तो दुःख ना होय ॥
*
राही मनवा ! दुख की चिन्ता क्यूँ सताती है,
दुख तो अपना साथी है ।
सुख है एक छाँव ढलती, आती है जाती है
दुख तो अपना साथी है ।
राही मनवा ! दुख की चिन्ता क्यूँ सताती है,
दुख तो अपना साथी है  ॥ ()
*
दूर है मंजिल  दूर सही
प्यार हमारा क्या कम है ।
पग में काँटे  लाख सही,
पर ये सहारा क्या कम है ।
हमराह तेरे कोई अपना तो है । 
सुख है एक छाँव ढलती, आती है जाती है
दुख तो अपना साथी है  ।
राही मनवा ! दुख की चिन्ता क्यूँ सताती है,
दुख तो अपना साथी है  ॥ ()
*
दुख है कोई तब जलते हैं,
पथ के दीप निगाहों में ।
इतनी बड़ी इस दुनिया की
लम्बी अकेली राहों में ।
हमराह तेरे कोई अपना तो है । 
सुख है एक छाँव ढलती, आती है जाती है
दुख तो अपना साथी है ।
राही मनवा ! दुख की चिन्ता क्यूँ सताती है,
दुख तो अपना साथी है  (
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 Related Links :
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  
(Anthology of Sanskrit Versions of Film Songs) 
Link : 
* * *   
Biodata: Dr. Harekrishna Meher :
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YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher:
* * * 
VIDEOS of Dr. Harekrishna Meher  
Link 
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