Original Hindi Film Song : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे *
Koi Jab Tumhara
Hriday Tod De * (Film ‘Purab Aur Pashchim’ 1970)
*
Sanskrit Translation by :
Dr.Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit
Version Lyrics : विभञ्ज्याद् यदा हृद् जनः कोऽपि ते *
*
Participated in Sanskrit Lyric Translation
Competition
Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD NEWS
Channel, Delhi.
Name enlisted in the Program Telecast on 22
November 2020,
Saturday at 6 pm.
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हिन्दीगीत : कोई जब तुम्हारा हृदय
तोड़ दे *
चलचित्र : पूरब और पश्चिम (१९७०) * गीतकार : इन्दीवर *
सङ्गीतकार : कल्याणजी आनन्दजी * गायक : मुकेश *
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कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ।
तब तुम मेरे पास आना प्रिये !
मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे ॥ (०)
*
अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं,
बहुत चाहनेवाले मिल जायेंगे ।
अभी रूप का एक सागर हो तुम,
कँवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे ।
दरपन तुम्हें जब, डराने लगे,
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे ।
तब तुम मेरे पास आना प्रिये !
मेरा सर झुका है, झुका ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ॥ (१)
*
कोई शर्त होती नहीं प्यार में,
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया ।
नज़र में सितारें जो चमकें जरा,
बुझाने लगीं आरती का दीया ।
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो,
अन्धेरों में अपने ही घिरने लगो ।
तब तुम मेरे पास आना प्रिये !
ये दीपक जला है, जला ही रहेगा, तुम्हारे लिये ।
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे ॥ (२)
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Song Credits : Original Hindi Film Song *
हिन्दीगीत : कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे *
(चलचित्रम् : पूरब और पश्चिम)
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः
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विभञ्ज्याद् यदा हृद् जनः
कोऽपि ते,
व्यथाव्याकुलां को यदा मुञ्चते ।
कान्ते ! तदायाहि
त्वं मेऽन्तिकम्,
द्वारं मेऽस्ति मुक्तम्, तद् मुक्तं हि भावि, खलु त्वत्कृते
॥ (०)
*
अनावश्यकस्ते त्वहं
साम्प्रतम्,
प्रियाकामिनो नैके त्वां लप्स्यन्ते ।
पयोधिस्त्वमेको रूपस्याधुना
यथास्वं फुल्लिष्यन्ति पद्मानि ते ।
मुकुरो यदा ते प्रदद्याद् भयम्,
पुनस्तारुण्यं मोचयेदञ्चलम् ।
कान्ते ! तदायाहि त्वं मेऽन्तिकम्,
नतं मे शिरोऽस्ति, नतं भावि तद् वै, खलु त्वत्कृते ।
विभञ्ज्याद् यदा हृद् जनः
कोऽपि ते,
व्यथाव्याकुलां को यदा मुञ्चते ॥ (१)
*
भवेत् प्रेम्णि नियमो न कोऽपि ध्रुवम्,
त्वया किन्तु नियमैः स्वप्रेमा कृतः ।
विभाता क्षणं नेत्रे तारा यदा,
प्रदीपस्तु पूजाया निर्वापितः ।
भवेस्त्वं स्वनेत्रे हि पतिता यदा,
भवेस्स्वीय-तमसा हि परितो वृता ।
कान्ते ! तदायाहि त्वं मेऽन्तिकम्,
दीपोऽयं ज्वलन् वै, ज्वलन् भावी नित्यं, खलु त्वत्कृते
।
विभञ्ज्याद् यदा हृद् जनः
कोऽपि ते,
व्यथाव्याकुलां को यदा मुञ्चते ॥ (२)
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(Sanskrit Version done on 15-11-2020)
Related Links :
‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम् :
Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html
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Biodata: Dr.
Harekrishna Meher :
http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna
Meher :
https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos
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VIDEOS of Dr. Harekrishna Meher :
Link : http://hkmeher.blogspot.in/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html
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Dr. Harekrishna Meher on Radio and
Doordarshan Channels:
Link : http://hkmeher.blogspot.in/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html
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