Friday, May 21, 2021

Ramachandra Kahgaye Siyaa Se: Sanskrit Version (Lyrics रामचन्द्र इदमुवाच सीताम्): Dr.Harekrishna Meher: DDNews Vaartavali

Original Hindi Film Song : 
‘Ramachandra Kahgaye Siyaa Se’ * 
रामचन्द्र कहगये सिया से *  (Film ‘GOPI’ 1970)  
*
Sanskrit Translation by : Dr.Harekrishna Meher 
(As per Original Hindi Tune) 
Sanskrit Version Lyrics : रामचन्द्र इदमुवाच सीताम् *  
‘Ramachandra Idamuvaacha Sitaam’   
*
Winner in Sanskrit Lyric Translation Competition 
Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi. 
Song Program Telecast on 22 May 2021, Saturday at 6 pm. 
Sanskrit Singer : Shambhu Prasad Mishra (New Delhi)
----
Courtesy and Gratitude to: 
DDNEWS, Sanskrit Vaartavali: Full Episode (22 May 2021): 
Link: 
= = = 
Separate Full Song Video: 
YouTube : HKMeher Channel: 
======
मूल-हिन्दीगीतम् : रामचन्द्र कहगये सिया से *  
चलचित्रम् : गोपी (१९७०) *  
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः  
= = = = = = = 
मानस रे !               
रामचन्द्र इदमुवाच सीताम् -    
एवं कलियुगमागन्ता, 
अशिता हंसः पलाल-कणिकां 
काको मुक्तां भक्षयिता ॥ (०) 
मानस रे !               
*
अपृच्छत् सीता - भगवन् ! 
कलियुगे वै धर्मं कर्म च 
कोऽपि न किं मानयिता ? 
तदा प्रभुरुवाच -   
धर्मो भविता कर्म च भविता 
परन्तु लज्जा नो भविता । 
प्रतिवृत्तं वै मातर-पितरौ   
पुत्रो नेत्रे तर्जयिता ॥   
रामचन्द्र इदमुवाच सीताम् ॥ (१) 
भविता राज-प्रजागण-मध्ये     
कर्ष-स्पर्धा वासर-नक्तम्, वासर-नक्तम् । 
पदे पदे खलु  उभौ कर्तारौ
निजं निजं स्वैराचारम्, स्वैराचारम् । 
हस्ते यस्य हि भविता यष्टी  
नूनमसौ महिषं नेता । 
अशिता हंसः पलाल-कणिकां  
काको मुक्तां भक्षयिता ॥  
रामचन्द्र इदमुवाच सीताम् ॥ (२)  
*  
शृणु सीते ! कलियुगे च भविता 
काल-धनं बहु काल-मनः, बहु काल-मनः । 
चौर-वञ्चका  नगर-श्रेष्ठिनः 
प्रभु-भक्तजनो धनहीनः, जनो धनहीनः । 
यो लोभी, भोगी भविताऽसौ     
योगीति स्वं वर्णयिता ।  
अशिता हंसः पलाल-कणिकां   
काको मुक्तां भक्षयिता ॥ 
रामचन्द्र इदमुवाच सीताम् ॥ (३)
मन्दिरं खलु शून्यं शून्यम्, 
भविता पूर्णा मधुशाला, मधुशाला । 
समं स्वपित्रा पूर्ण-सभायां 
नर्तिष्यति वै गृह-बाला, वै गृहबाला । 
कीदृश-कन्या-दानं स पिता  
कन्या-वित्तं भक्षयिता ॥ 
अशिता हंसः पलाल-कणिकां 
काको मुक्तां भक्षयिता ॥ (४) 
मानस रे !               
*
मन्दा वै मूर्ख-प्रीतिः 
मन्दो द्यूते जयोऽस्ति, 
कुसङ्गस्थं सौख्यं धाविता दूरम्, 
भ्रातः ! धाविता दूरम् । 
कज्जलस्य कक्ष-मध्ये   
कीदृग् यत्नं कुरु परम्,  
कज्जल-चिह्नं भ्रातः ! लगेदवश्यम् ॥ (५)  
मानस रे !               
*
कियद्-यतिर्वा कोऽपि, 
कियत्-सती वा काऽपि, 
कामिनी-सङ्गे कामो 
जागर्ति नूनम्, जागर्ति नूनम् । 
शृणु गोपीरामो वक्ति, 
यस्य नाम काम इति,  
तत्पाश-दाम गले भवेत् सुलग्नम्, भ्रातः !
तत्पाश-दाम गले भवेत् सुलग्नम् ॥ (६) 
मानस रे !               
= = = = =     

FaceBook : Link : 
*
Twitter Link: 
= = = = = =  

मूल-हिन्दीगीत : रामचन्द्र कह गये सिया से *
चलचित्र : गोपी (१९७०)
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण *  
संगीतकार : कल्याणजी आनन्दजी *
गायक : महेन्द्र कपूर *  
= = = = = = = = 
हे जी रे ! 
रामचन्द्र कहगये सिया से, 
ऐसा कलजुग आयेगा, 
हंस चुगेगा दाना दून का 
कौवा मोती खायेगा ॥ (०) 
*
सिया ने पूछा, भगवन् ! 
कलजुग में धर्म कर्म को 
कोई नहीं मानेगा ? 
तो प्रभु बोले, 
धर्म भी होगा कर्म भी होगा 
परन्तु शर्म नहीं होगी । 
बात-बात में मात-पिता को 
बेटा आँख दिखायेगा ॥ (१) 
*
रामचन्द्र कहगये सिया से, 
राजा और प्रजा दोनों में 
होगी निसदिन खींचातानी, खींचातानी ।  
कदम कदम पर  करेंगे दोनों 
अपनी अपनी मनमानी, मनमानी । 
जिसके हाथ में होगी लाठी 
भैंस वही ले जायेगा । 
हंस चुगेगा  दाना दून का 
कौवा मोती खायेगा ॥ (२) 
*
सुनो सिया ! कलयुग में काला 
धन और काले मन होंगे, काले मन होंगे । 
चोर उचक्के नगर सेठ और 
प्रभुभक्त निर्धन होंगे, निर्धन होंगे । 
जो होगा लोभी और भोगी 
वो योगी कहलायेगा । 
हंस चुगेगा दाना दून का 
कौवा मोती खायेगा ॥ (३) 
*
मन्दिर सूना सूना होगा 
भरी रहेंगी मधुशाला, मधुशाला ।  
पिता के संग-संग भरी सभा में 
नाचेंगी घर की बाला, घर की बाला । 
कैसा कन्यादान पिता ही 
कन्या का धन खायेगा । 
हंस चुगेगा दाना दून का 
कौवा मोती खायेगा ॥ (४) 
*
मूरख की प्रीत बुरी, 
जूए की जीत बुरी, 
बुरे संग बैठ चैन भागे ही भागे, 
रे भाई ! भागे रे भागे । 
काजल की कोठरी में 
कैसे ही जतन करो, 
काजल का दाग भाई ! लागे रे लागे 
रे भाई ! लागे रे लागे ।। (५)  
हे जी रे ! 
*
कितना जति को कोई, 
कितना सती हो कोई,  
कामिनी के संग काम 
जागे ही जागे, जागे ही जागे । 
सुनो कहे गोपीराम, 
जिसका है नाम काम 
उसका तो फंद गले लागे ही लागे, 
रे भाई ! लागे ही लागे ॥ (६) 
हे जी रे ! 
= = = = = = 

Related Links : 

Ramachandra Kahgaye Siyaa Se (Sanskrit Version Lyrics) :

Blog Link: https://hkmeher.blogspot.com/2021/05/ramachandra-kahgaye-siyaa-se-sanskrit.html

* * * 

Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम् :  

(Anthology of Sanskrit Versions of Film Songs) 

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html

* * * 

Biodata: Dr. Harekrishna Meher : 

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

 * * * 

YouTube Videos (Search): Dr. Harekrishna Meher : 

https://www.youtube.com/results?search_query=%22hkmeher%22+videos

 * * * 

VIDEOS of Dr. Harekrishna  Meher : 

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2016/04/videos-of-drharekrishna-meher-sanskrit.html

 * * * 

Dr. Harekrishna Meher on Radio and Doordarshan Channels: 

Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/04/dr-harekrishna-meher-on-radio.html

 = = = = = 


No comments: