Laharon Se Darkar Nauka : लहरों से डरकर नौका *
Original Hindi Song : Poet Sohanlal Dwivedi
Sanskrit Version Lyrics by : Dr. Harekrishna Meher
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लहरों से डरकर नौका (हिन्दी गीत)
रचयिता * कवि सोहनलाल द्विवेदी
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लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ (०)
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नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ (१)
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डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है,
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ (२)
*
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमीं रह गयी देखो, और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ।
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती ॥ (३)
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लहरों से डरकर नौका (हिन्दी गीत)
मूल-रचयिता * कवि सोहनलाल द्विवेदी
संस्कृत-गीतानुवादक: - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर:
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लहरी-भीत्या नौका वै गच्छति नो पारम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (०)
*
कणिकां नीत्वा चलति यदा लघ्वी पिपीलिका,
रोहति भित्तौ स्खलति परं शतवारं सैका ।
मनसो विश्वासो धमनौ पूरयति साहसम्,
रोहे पतनं पतने रोहो जनयति नो खेदम् ।
अन्ते तस्या: श्रम-सर्वं याति नहि व्यर्थम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (१)
*
अवगाही कुरुते नूनं निमज्जनं जलधौ,
प्रत्यायाति च रिक्त-करो मुहुरपि गत्वाऽसौ ।
सरलं न लभ्यते वै मुक्ता सलिले सुगभीरे,
द्विगुणं वर्धत उत्साहो ह्यत्रोद्वेगभरे ।
शून्यागच्छति न तदीया मुष्टि: प्रतिवारम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (२)
*
असफलता त्वेकाह्वानं, तत् स्वीकुरु नूनम्,
पश्याभाव: को जात:, सम्मार्जयाधिकम् ।
नाप्तं यावत् सफलत्वं, निद्रां त्यज सौख्यम् ।
सङ्घर्षाङ्गणमिह हित्वा न पलायेथास्त्वम् ।
लभ्य: किञ्चित् कृतं विना, जयकारो नैवम् ।
नायात्युद्यम-निरतानां कर्मसु विफलत्वम् ।
उद्यम-निरता न लभन्ते स्वपराजय-भारम् ॥ (३)
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अनुवाद काल : February 2023
* Hearty thanks and gratitude to the owner of the Hindi Song.
Translated into Sanskrit for service to Sanskrit literature and the nation.
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Related Links :
Biodata :
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
* Contributions of Harekrishna Meher to Sanskrit Literature:
Link :
https://hkmeher.blogspot.com/2019/02/contributions-of-dr-harekrishna-meher.html
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