Sunday, July 12, 2020

Jyot Se Jyot Jagaate Chalo: Sanskrit Version (Lyrics: ज्योतिषा ज्योति-र्विकीर्य चलेः): Dr.Harekrishna Meher: DDNEWS Vaartaavali

Original Hindi Film Song : ज्योत से ज्योत जगाते चलो * 
 ‘Jyot Se Jyot Jagaate Chalo’ *  
Film  ‘Sant Gyaneswar’ (1964) *
Hindi Singer : Lata Mangeshkar 
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Sanskrit Translation by :  Dr. Harekrishna Meher
(As per Original Hindi Tune)
Sanskrit Version Lyrics :
ज्योतिषा ज्योति-र्विकीर्य चलेः *       
‘Jyotishaa  Jyotir Vikirya Chaleh’ *  
Sanskrit Singer : Yashashri Joshi (Maharashtra)  
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Winner in Sanskrit Lyric Translation Competition
Conducted by Sanskrit Vaartaavali, DD News Channel, Delhi.
Program Telecast on 11 July 2020, Saturday at 6 pm. 
Re-telecast on 12 July 2020, Sunday at 11.30 am.
(Lata Mangeshkar Song was telecast)
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Courtesy and Gratitude To:
DD NEWS Channel, Sanskrit Vaartavali, Delhi.
Sanskrit Vaartavali: Full Episode (11 July 2020)
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Separate Video Song: HKMeher Channel: YouTube: 

हिन्दीगीत : ज्योत से ज्योत जगाते चलो *
(चलचित्रम् : सन्त ज्ञानेश्वर)
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः
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(लता-मंगेशकर-गीतम्)
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ज्योतिषा ज्योति-र्विकीर्य चलेः, प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ।
मार्गागता दीन-दुःखिनो ये, कण्ठे हि सर्वानाश्लिष्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां, प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (०)
*
न हि कोऽपि यस्य, सङ्गी सहायः, रक्षक ईशस्तदीयः ।  
यो धनहीनः, यो बलहीनः, स प्रभोरस्ति स्वप्रियः । 
प्रेम्णो मुक्तां, प्रेम्णो मुक्तां वितीर्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (१)
*
आशा भग्ना, ममता रुष्टा, यातं वियुज्य प्रतीरम् ।
मा कुरु रुद्धं करुणा-द्वारम्, कञ्चित् प्रदेहि सहायम् ।
करुणा-दीपं, करुणा-दीपं प्रज्वाल्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (२)
*
व्याप्तं वै चतुःपार्श्वे तमिस्रं, दिशाश्च गता विभ्रान्तिम् । 
मानवो दानवो भूत्वासीनः, कं श्रावयेम आर्त्तिम् । 
भूलोकं, भूलोकं स्वर्गं विभाव्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (३)
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‘Jyot Se Jyot Jagaate Chalo’: Sanskrit Version :
हिन्दीगीत : ज्योत से ज्योत जगाते चलो *  
चलचित्र : सन्त ज्ञानेश्वर (१९६४) *  गीतकार : भरत  व्यास *
सङ्गीतकार : लक्षीकान्त प्यारेलाल *
गायिका : लता मंगेशकर *
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(लता मंगेशकर गीत)
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ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो ।
राह में आये जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो ।
प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (०)
*
जिसका न कोई संगी साथी, ईश्वर है रखवारा ।
जो निर्धन है जो निर्बल है, वो है प्रभु का प्यारा ।
प्यार के मोती, प्यार के मोती लुटाते चलो ।
प्रेम की गंगा, प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (१)
*
आशा टूटी, ममता रूठी, छूट गया है किनारा ।
बन्द करो मत द्वार दया का, दे दो कुछ भी सहारा ।
दीप दया का, दीप दया का जलाते चलो ।
प्रेम की गंगा, प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (२)
*
छाया है चहुँ ओर अन्धेरा, भटक गयी हैं दिशायें ।
मानव बन बैठा है दानव, किसको व्यथा सुनायें ।
धरती को, धरती को स्वर्ग बनाते चलो ।
प्रेम की गंगा, प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (३)
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FaceBook Link : 

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Another Related Link : (Mukesh Song) : 

 ‘Jyot Se Jyot Jagaate Chalo’ * Sanskrit Version Lyrics :

Link : https://hkmeher.blogspot.com/2022/08/jyot-se-jyot-jagaate-chalo-mukesh-song.html

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हिन्दीगीत : ज्योत से ज्योत जगाते चलो *  
चलचित्र : सन्त ज्ञानेश्वर (१९६४) *  गीतकार : भरत  व्यास *
सङ्गीतकार : लक्षीकान्त प्यारेलाल * गायक : मुकेश *
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादकः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः
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 (मुकेश-गीतम्)
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ज्योतिषा ज्योति-र्विकीर्य चलेः, प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ।
मार्गागता दीन-दुःखिनो ये, कण्ठे हि सर्वानाश्लिष्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (०)
*
को वा समुच्चः कोऽस्ति वा नीचः, निखिलेऽसौ समाविष्टः ।  
भेदभावस्य मिथ्याभ्रमे वै, भ्रमितो मानव एषः ।
धर्म-ध्वजं, धर्म-ध्वजं सञ्चाल्य चलेः ।
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (१)
*
सर्व-जगतो हि प्रतिकणमास्ते, दिव्यामर एक आत्मा ।
ब्रह्म ह्येकं, सत्यं चैकम्, एको वै परमात्मा ।
प्राणैः प्राणान्, प्राणैः प्राणान् संयोज्य चलेः ।  प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः । 
प्रेम्णो गङ्गां प्रवाह्य चलेः ॥ (२)
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हिन्दीगीत : ज्योत से ज्योत जगाते चलो *  
चलचित्र : सन्त ज्ञानेश्वर (१९६४) *  
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(मुकेश गीत)
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ज्योत से ज्योत जगाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो ।
राह में आये जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो ।
प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (०)
*
कौन है ऊँचा कौन है नीचा, सबमें वो ही समाया ।
भेदभाव के झूठे भरम में, ये मानव भरमाया ।
धर्म-ध्वजा, धर्म-ध्वजा फहराते चलो ।
प्रेम की गंगा, प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (१)
*
सारे जग के कण-कण में है, दिव्य अमर एक आत्मा ।
एक ब्रह्म है, एक सत्य है, एक ही है परमात्मा ।
प्राणों से प्राण, प्राणों से प्राण मिलाते चलो ।
प्रेम की गंगा, प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥ (२)
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‘Chalachitra-Gita-Sanskritaayanam’: चलचित्र-गीत-संस्कृतायनम्  :
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