Tuesday, December 5, 2023

Jay Bharati, Sar Pe Himalaya Ka Chhatra Hai (सर पे हिमालय का छत्र‌‌‌ है) : Sanskrit Version Lyrics by: Dr. Harekrishna Meher

Sanskrit Version of Original Hindi Film Song 

"Jay Bharati, Sar Pe Himalaya Ka Chhatra Hai" 

(सर पे हिमालय का छत्र है) * 

Sanskrit Version Lyrics by : Dr. Harekrishna Meher *  

मस्तं तुषारगिरि-च्छत्रितम् * 

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Song Credits and Acknowledgements :
*
Original Song : Jay Bharati, Sar Pe Himalaya Ka Chhatra Hai :  
Film : Jagatguru Shankaracharya (1955) * 
Lyrics : Bharat Vyas *
Music : Avinash Vyas * 
Singer : Lata Mangeshkar / Manna Dey *
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मूल हिन्दी गीत : 
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जय भारती, वन्दे भारती ।। (०) 
*
सर पे हिमालय का छत्र है,
चरणों में नदियां एकत्र हैं ।
हाथों में वेदों के पत्र हैं,
देश नहीं ऐसा अन्यत्र है ।
जय भारती, वन्दे भारती।
जय भारती, वन्दे भारती ।। (१)
*
धूएं से पावन ये व्योम है,
घर-घर में होता जहां होम है ।
पुलकित हमारे रोम-रोम है,
आदि अनादि शब्द ओम् है ।
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्  ।। (२)
*
जिस भूमि पे जन्म लिया राम ने,
गीता सुनाई जहां श्याम ने ।
पावन बनाया चारों धाम ने,
स्वर्ग भी लजाए जिसके सामने ।
जय भारती, वन्दे भारती ।
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ।। (३) 
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Sanskrit Version of Original Hindi Song: 
जय भारती, वन्दे भारती । 
सर पे हिमालय का छत्र है ..

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Sanskrit Translation (As per Original Hindi Tune)   
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादक: -
डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
====
जय भारती, वन्दे भारतीम् । (०)
*

मस्तं तुषारगिरि-च्छत्रितम्,

चरणे वै सरितां सम्मेलनम् । 

वेदानां पत्रं  हस्ते धृतम्, 

नापरत्र राष्ट्रं ह्येतादृशम् । 

जय भारती, वन्दे भारतीम् ।। (१) 

आकाशं पूतं धूमैरिदम्, 

प्रतिवासं यत्र होम-पूजनम् । 

पुलकैर्न: सर्वरोम पूरितम्,   

आदिरनादिश्शब्द: ओम् पदम् । 

जय भारती, वन्दे भारतीम् । 

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ।। (२) 

भुवने रामो यत्र जनिं नीतवान् ,

श्यामो हि गीतां श्रावितवान् । 

धाम-चतुष्टयेनेदं पावनम्, 

लज्जते हि स्वर्गोऽपि यत्सम्मुखम् ।  

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ।। (३) 

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Translated into Sanskrit for promoting Sanskrit Language and service to the nation. 
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BlogLink:
http://hkmeher.blogspot.com/2023/12/jay-bharati-sar-pe-himalaya-ka-sanskrit.html?m=1
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Facebook Post:
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0cKWAS6DRYzrKr9jJr8X6r61EAMwLYs5SBgdzmbScD1agSTMGVywA4bv2sgEcQPVxl&id=100000486559190&mibextid=Nif5oz
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Related Links : 

चलचित्रगीत-संस्कृतायनम् :
Link : http://hkmeher.blogspot.com/2017/05/chalachitra-gita-sanskritayanam.html
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Biodata (English): Web Version:
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html?m=0
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Original Hindi Song:
* सर पे हिमालय का छत्र‌‌‌ है * 
Lata Mangeshkar Song : 

https://youtu.be/3ZOwwTT6DRw?si=WIXkMJPb3j6dB8vP
*
Manna Dey Song : 
https://youtu.be/nWlSIMTybGw?si=vHwkvt_JcGVGHdiy
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Saturday, November 4, 2023

रघुवंश काव्य (सर्ग ४-५): RAGHUVAMSHA (Cantos 4-5): Odia Version: Dr. Harekrishna Meher

RAGHUVAMSHA MAHAKAVYA
(Cantos 4 and 5) *
Original Sanskrit Epic Poem by: Mahakavi Kalidasa
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ODIA Metrical Translation by:
Dr. Harekrishna Meher
(Taken from Complete Odia Version)
*
रघुवंश महाकाव्य :
चतुर्थ सर्ग : रघुङ्क दिग्विजय *
पञ्चम सर्ग : इन्दुमती-स्वयंवररे अजङ्क प्रस्थान *
(ओड़िआ बङ्गळाश्री रागरे पद्यानुवाद)  
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Canto-4 : Digvijaya of King Raghu.
Canto-5 :
Journey of Aja towards Indumati's Swayamvara.
(Translations done during 1975-1976)  
* * * *
Published in BARTIKA, Famous Literary Quarterly, Dashahara Mega Special Issue, October-December 2023, pages 1534-1562. Saraswata Sahitya Sanskrutika Parishad, Dasharathapur, Jajpur, Odisha.
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Facebook Post:
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रघुवंश काव्य: RAGHUVAMSHA: Cantos 4-5) : Odia Version : 
Published in the same 'Bartika' magazine 2023 :
*
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02nYiHnBFWEzWyTS8o6m4u98EnBE6kE1mK34FeSbHKQEZcoDViCsRjMMXeVsKZtBJzl&id=100000486559190&mibextid=Nif5oz
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Total pages scanned are posted here.
Hearty thanks and gratitude to the Chief Editor Dr. Nabakishore Mishra and the Editorial Board of the magazine.
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For examples, Three  Translated Verses with Original Sanskrit, shown in Devanagari and Odia Scripts.
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मनु-प्रभृतिभि-र्मान्यै-र्भुक्ता यद्यपि राजभि: ।
तथाप्यनन्यपूर्वेव तस्मिन्नासीद् वसुन्धरा ।।
स हि सर्वस्य लोकस्य युक्तदण्डतया मन: ।
आददे नातिशीतोष्णो नभस्वानिव दक्षिण: ।।
(रघु. ४/७-८)
* *
मनु आदि पूज्य     नृपगण भोगि
       थिलेहें महीकि पूर्बे,
रघु-हस्ते से त       अपूर्बा अभुक्ता 
       प्राये बिराजिला एबे ।
जन-मन रञ्जि     शास्ति देउथिले
       दोष बिचारि दोषीर,
नातिशीत नाति-      उष्ण येउंपरि
       लागे दक्षिण समीर ।।
*
(In Odia Script)
ମନୁ ଆଦି ପୂଜ୍ୟ     ନୃପଗଣ ଭୋଗି
       ଥିଲେହେଁ ମହୀକି ପୂର୍ବେ,
ରଘୁ-ହସ୍ତେ ସେ ତ   ଅପୂର୍ବା ଅଭୁକ୍ତା
     ପ୍ରାୟେ ବିରାଜିଲା ଏବେ ।
ଜନ-ମନ ରଞ୍ଜି    ଶାସ୍ତି ଦେଉଥିଲେ 
      ଦୋଷ ବିଚାରି ଦୋଷୀର,
ନାତିଶୀତ ନାତି-    ଉଷ୍ଣ ଯେଉଁପରି
      ଲାଗେ ଦକ୍ଷିଣ ସମୀର ।। (ରଘୁ. ୪/୭-୮)
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तमध्वरे विश्वजिति क्षितीशं
नि:शेष-विश्राणित-कोषजातम् ।
उपात्त-विद्यो  गुरुदक्षिणार्थी 
कौत्स: प्रपेदे वरतन्तु-शिष्य: ।। (रघु. ५/१)
* *
बिश्वजित य़ज्ञे      महाराज रघु
      सर्बस्व करिले दान,
राजकोष सर्ब    शून्य होइगला
      न रहिला किछि धन । 
एहिकाळे बर-  तन्तु मुनिङ्कर
     शिष्य कौत्स बिद्याशेषे,
गुरुदक्षिणार्थे    अर्थ मागिबाकु
     मिळिले रघुङ्क पाशे ।। 
*
(In Odia Script)
ବିଶ୍ଵଜିତ ଯଜ୍ଞେ       ମହାରାଜ ରଘୁ
        ସର୍ବସ୍ୱ କରିଲେ ଦାନ,
ରାଜକୋଷ ସର୍ବ   ଶୂନ୍ୟ ହୋଇଗଲା
        ନ ରହିଲା କିଛି ଧନ ।
ଏହିକାଳେ ବର-      ତନ୍ତୁ ମୁନିଙ୍କର
      ଶିଷ୍ୟ କୌତ୍ସ ବିଦ୍ୟାଶେଷେ,
ଗୁରୁଦକ୍ଷିଣାର୍ଥେ      ଅର୍ଥ ମାଗିବାକୁ
      ମିଳିଲେ ରଘୁଙ୍କ ପାଶେ ।। (ରଘୁ.୫/୧) 
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Related Link:
'Raghuvamsha Kavya' : ODIA Version: Link :
https://hkmeher.blogspot.com/2018/10/raghuvamsha-mahakavya-odia-version-dr.html  
*
Translated Kavyas of Harekrishna Meher :
http://hkmeher.blogspot.com/2016/08/translated-works-of-dr-harekrishna-meher.html
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DURGA-GITIKA : दुर्गा-गीतिका :
Published in the same 'BARTIKA' magazine, October -December 2023 : Link : 
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=25108905002042372&id=100000486559190&mibextid=Nif5oz
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Monday, October 23, 2023

'Aankhon Ankhon Me Ham Tum'.(आंखों आंखों में हम तुम): Sanskrit Version (नेत्रे नेत्रे वै त्वमहम्): Dr.Harekrishna Meher

 Original Hindi Song : आंखों आंखों में हम तुम * 

'Aankhon Ankhon Me Ham Tum' * 
Sanskrit Version Lyrics by: Dr. Harekrishna Meher
(As per Original Tune) 
नेत्रे नेत्रे वै त्वमहम् * Netre Netre Vai Tvamaham. 
*
Song Credits and Acknowledgement : 
'Aankhon Ankhon Me Ham Tum'. 
Hindi Film: Mahal (1969) 
Lyrics :  Anand Bakshi * 
Music : Kalyanji Anandji * 
Singers : Kishore Kumar and Asha Bhosle. 
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मूल हिन्दी गीत : 
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(पुं) आंखों आंखों में हम तुम, हो गये दीवाने । 
(स्त्री) बातों बातों में देखा, बन गये अफसाने  । 
(पुं) आंखों आंखों में हम तुम, हो गये दीवाने ।। (०) 
*
(स्त्री) याद करो ये, सबने कहा था । 
दिल जो दिया तो, ये हाल होगा । 
चैन ना आएगा, नींद न आएगी । 
किसीका कहा हम तुम, माने नहीं माने । 
(पुं) आंखों आंखों में हम तुम, हो गये दीवाने ।। (१) 
*
(पुं) हम अजनबी थे, तुम थे पराये । 
एक दूसरे के  दिल में समाये । 
हम और तुम में, उफ ये मोहब्बत । 
कैसे हो गयी हम तुम, जाने नहीं जाने । 
(स्त्री) बातों बातों में देखा, बन गये अफसाने ।। (२) 
*
(पुं) कितनी हंसी ये, तन्हाइयां हैं । 
(स्त्री) तन्हाइयों में, रुसवाइयां हैं । 
(पुं) रुसवाइयों से  डरते नहीं हम । 
(स्त्री) छोड़ो प्यार की बातें, 
(पुं) छोड़ो ये बहाने । 
(पुं स्त्री) आंखों आंखों में हम तुम, हो गये दीवाने ।  
बातों बातों में देखा, बन गये अफसाने ।। (३) 
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Sanskrit Version Lyrics :  
हिन्दी गीत : आखों आंखों में हम तुम * 
मूलस्वरानुकूल-संस्कृतगीतानुवादक : 
हरेकृष्ण-मेहेर: 
Sanskrit Version Lyrics :   
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(पुं) नेत्रे नेत्रे वै त्वमहं, द्वौ गतौ सम्मोहम् । 
(स्त्री) वाचि वाचायां दृष्टम्, प्रस्तुता स्वकथेयम् ।।  
(पुं) नेत्रे नेत्रे वै त्वमहं, द्वौ गतौ सम्मोहम् ।। (०) 
*
(स्त्री) 
त्वं सुस्मरेदं  सकलैर्यदुक्तम् । 
हृदयं दत्तं चेत्, स्याद् वै दशेयम् ।   
आयाता नो सौख्यं, निद्रापि नायाता। 
गिरां कस्यचित् त्वमहं, नामानाव नूनम् ।  
(पुं) नेत्रे नेत्रे वै त्वमहं, द्वौ गतौ सम्मोहम् ।। (१) 
*
(पुं) अज्ञात आसम्, आसी: परा त्वम् । 
एकोऽविशद् वै, अपरस्य चित्तम् । 
मयि च त्वयीदम्  ओह ! प्रेमतत्त्वम् । 
जातं कीदृशं त्वमहं, नाजानीव हीदम् । 
(स्त्री) वाचि वाचायां दृष्टम्, प्रस्तुता स्वकथेयम् ।। (२) 
*
(पुं) कियती सुरम्या एकाकितेयम् । 
(स्त्री) एकाकितायाम्, अपवाद एवम् । 
(पुं) अपवादतो मे, नैवं भयं स्यात् । 
(स्त्री) त्यज प्रेमिलां वाचम्, 
(पुं) व्याजं हि त्यजेमम् ।   
(पुं स्त्री) नेत्रे नेत्रे वै त्वमहं, द्वौ गतौ सम्मोहम् । 
वाचि वाचायां दृष्टम्, प्रस्तुता स्वकथेयम् ।। (३) 
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Translated on 23-7-2022.  
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Included in 
'Chalachitra-Gita-Sanskritayanam' : चलचित्रगीत-संस्कृतायनम् : 
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Biodata (English) : Web Version:
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Film: Mahal : Sweet Song : 
Kishor Kumar: Asha Bhosle : 
आंखों आंखों में हम तुम : 
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Wednesday, October 18, 2023

* दुर्गा-गीतिका * Durga-Gitika (Devotional Sanskrit Song): Dr.Harekrishna Meher

 *DURGA-GITIKA* 

(Devotional Sanskrit Song for Goddess Durga) 

Lyrics and Tuning By: Dr. Harekrishna Meher 

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दुर्गा-गीतिका *

गीति-रचना तथा स्वर-रचना : डॉ. हरेकृष्ण-मेहेरः 

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जय दुर्गे !    मातः ! सुभगे !  

भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम्  (ध्रुवम्)

                  *

जाने जननी  त्वमखिलपात्री,

गाने कवितां  वितर सुदात्री

दाने करुणा भाति मधुरिमा, शैलसुते !

ध्याने महती शक्तिः परमा, नमोऽस्तु ते

      जय दुर्गे !   जय वृत-भर्गे ! 

    कनक-कान्तिमय-कलेवरा त्वम्

    जन-कल्याणे  शूलधरा त्वम्   

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् ()  

                   *

मनुज-मुनिजनाराधित-चरणा,

दनुज-निपातिनि ! लसिताभरणा

तनुषे नित्यं सुखं मुदा त्वम्, शान्तिमयी

अनुकम्पां कुरु सुसम्पदा त्वम्, स्वस्तिमयी

      जय दुर्गे !    मातः ! स्वर्गे  

    सुरगण-महिता  नाशय मोहम्

    पुरजयि-दयितां  भजे नतोऽहम्  

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् () 

                    *

प्रणतिं मम ते  गृहाण कृपया, 

गणपति-जननी  गिरीन्द्र-तनया

कण-कण-वितता भुवि तव भूतिः, समुज्ज्वला

रण-रुद्राणी  त्वं नुत-कीर्त्तिः, सुमङ्गला

       जय दुर्गे !    जित-रिपुवर्गे ! 

    भगवति ! नमामि ते महिमानम्

    जगति कुरु जने  हर्ष-विधानम्   

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् ()   

                   *

शरणं मे तव  चरणे पूते,

स्मरतु मतिर्मम  नामपदं ते

वरद-करा त्वं  दर-मधुहास्या, महेश्वरी

धरणि-सुधारिणि ! सरस-सुलास्या, सुधाझरी

      जय दुर्गे !    निखिल-निसर्गे 

    हरिमाया खलु  महोर्जिता त्वम्

    करिरिपु-वाहन-विराजिता त्वम्

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् () 

                    *

नव-नव-कर्मसु  सबलं देहम्,

भवतु हृदयं  गत-सन्देहम्

तव पद-युगलं शुभारविन्दम्, विभास्वरम्

अवतु मदीयं  मनोमिलिन्दम्, मोदभरम् । 

       जय दुर्गे !      नय  सन्मार्गे  

    अहित-निवारिणि ! जहि महि-भारम्

    महिष-विमर्दिनि !  दह कुविचारम्

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् ()

                      *

सुमानि भक्त्याः स्वीकुरु मातः ! 

सुमानसे ननु  मे प्रणिपातः

उमा भवानी विभासि सौम्या, हैमवती

कुमार-माता शिवा सुरम्या, दीप्तिमती  

       जय दुर्गे !   स्वयमिह सर्गे

    असुर-बलं दह  भीमा प्रबलम्

    वसुधाया जहि  दैन्यं सकलम्   

    भयहारिणि हे !  दारय दुरितम्

    जयताद् भुवने  ते शुभ-चरितम् ()

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(इयं गीतिका कहरवा-तालस्य मध्यलयेन परिवेषणीया

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Published as आवाहनी inBARTIKA’ (बर्त्तिका), Odia Literary Quarterly, Dashahara Special Issue, October-December 2023, Dasarathapur, Jajpur, Odisha. 

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Blog Link : 

https://hkmeher.blogspot.com/2023/10/durga-gitika-devotional-sanskrit-song.html

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Facebook Post: 3-11-2023.
(with Scanned Pages of 'Bartika' Magazine 2023).
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https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0314xaZSxaDrcceVnAMAAh6as2P12cfMDughta7UiJgLuvorpRweqFY2gSA4KL7nHbl&id=100000486559190&mibextid=Nif5oz
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Related Link :
Devotional Songs by Harekrishna Meher :
http://hkmeher.blogspot.com/2023/01/devotional-sanskrit-songs-drharekrishna.html?m=1
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Biodata English:
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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Biodata (English) : Web Version:

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html?m=0
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Tuesday, October 17, 2023

SriManikeswari-Stavanam: श्रीमाणिकेश्वरी-स्तवनम् : Dr.Harekrishna Meher

'SriManikesvari-Stavanam'  
(Prayer to Goddess Manikeswari) 

Original Devotional Sanskrit Poem by :
Dr. Harekrishna Meher 

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* श्रीमाणिकेश्वरी-स्तवनम् * 
रचयिता : डा. हरेकृष्ण-मेहेर: 
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कलाहाण्डि-मण्डलानामधिष्ठात्री शुभङ्करी ।
जयत्यम्बा लोकवन्द्या देवी श्रीमाणिकेश्वरी ।। (१)
*
कल्याणानां मधुर-सरणी शक्तिरूपा शिवानी 
हे शर्वाणि ! त्वमसि तमसां नाशयित्री भवानी ।
देहि ज्ञानं कुरु सुकरुणां मे हर स्वान्त-मोहं 
श्रीमाणिक्येश्वरि ! भगवतीं त्वां सुभक्त्या नतोsहम्  ।। (२)
*
पुष्पदीपादि-चर्चितां भक्तमङ्गल-दायिनीम् ।
नमामि माणिकेश्वरीं शोकसन्ताप-नाशिनीम् ।।  (३)
*
दशहरा-पर्वमध्ये महानवमी-पूजिताम् ।
नौमि श्रीमाणिकेश्वरीं छत्रयात्रा-विराजिताम् ।। (४)
*
त्वं शक्तिदात्री ममतामयी त्वं 
      प्रसीद देवी हर दु:खजातम् ।
मातः ! समाराधन-सुप्रसन्ना
      प्रदेहि शान्तिं हृदये नितान्तम् ।। (५)
*
देहि बलं समुत्साहं  मात: ! प्रियजन-स्तुते !
विपदां हारिणी देवि ! दह क्लेशं नमोsस्तु ते ।। (६)
*
विनश्यतु दुर्भावना देहि चित्ते परिष्कृतिम् ।
शरणागत-वत्सले ! मात-र्मे जहि दुर्गतिम् ।। (७)
*
त्वत्-प्रसादात् परिवेशे भवतु निर्मल-क्रम: ।
देहि श्रद्धां सद्भावनां माणिक्यदेवि ! ते नमः ।। (८)
*
माणिक्यदेवी-स्तवनं  य: पठेद् वा जपेदिदम् ।
देव्यनुकम्पया शुभं लभते सुखशान्तिदम् ।। (९) 

* इति श्रीहरेकृष्णमेहेर-विरचितं श्रीमाणिकेश्वरी-स्तवनं सम्पूर्णम् *
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BlogLink: 
http://hkmeher.blogspot.com/2023/10/srimanikeswari-stotram-drharekrishna.html?m=1

Included in Stotra-kavya 'स्तवार्चन-स्तवकम्' : Stavaarchana-Stavakam: http://hkmeher.blogspot.com/2017/02/stavarchana-stavakam-drharekrishna-meher.html?m=1

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Devotional Songs of Harekrishna Meher:
https://hkmeher.blogspot.com/2023/01/devotional-sanskrit-songs-drharekrishna.html  


Biodata English:
http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html
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Biodata (English) : Web Version:

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html?m=0
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Saturday, October 14, 2023

DurgaDevi-Dashakam: दुर्गादेवी-दशकम् : (Devotional Song): Dr.Harekrishna Meher

* DURGADEVI-DASHAKAM *
(Original Sanskrit Poem)
Composed in 'Indira' chhanda 
By Dr. Harekrishna Meher

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* दुर्गादेवी-दशकम् * 
रचयिता : डा. हरेकृष्ण-मेहेर:
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जय महेश्वरी  विश्व-तारिणी
त्वमसि दुर्गते-र्ध्वंसकारिणी ।
कलुष-हारिणी  दैत्यदारिणी
जय पराम्बिके ! धर्मधारिणी ।। (१)
*
त्वमसि भारती  भक्तवत्सला
जयसि पार्वती  सर्व-पुष्कला ।
त्वमसि वैष्णवी जिष्णु-वन्दिता
वितर सन्मतिं  त्वं महोर्जिता ।। (२)
*
भगवती शिवा  त्वं त्रिशूलिनी
महिषमर्दिनी  सिंह-वाहिनी ।
जयसि भैरवी भूरि-विक्रमा
सुकरुणामयी  त्वं मनोरमा ।। (३)
*
वृजिन-भञ्जिनी  मञ्जुलानना
सुजन-रञ्जिनी  कञ्ज-लोचना ।
जगति पूजिता  गर्व-गञ्जिनी
भवतु ते कृपा शान्ति-शिञ्जिनी ।। (४)
*
जयसि पालिका पुण्य-सत्कृताम्,
त्वमसि कालिका घोर-दुष्कृताम् ।
जयसि चण्डिका चण्ड-मुण्डहा
त्वमिह शाम्भवी  दम्भ-दर्पहा ।। (५)
*
धरणि-शोधने  त्वं धुरन्धरा
तव शुभागमे  शोभिता धरा ।
अघ-विघातिनी  राघवार्चिता
भुवि विभासि वै दिव्यभूषिता ।। (६)
*
अहमिकाङ्किते  मामकान्तरे
दुरित-शङ्किते  पङ्किलोदरे ।
भवतु ते दया-वारि-सेचनम्,
जननि ! मार्जनं भक्ति-सर्जनम् ।। (७)
*
हर हरप्रिये !  दु:खमापदम्,
वितर सौभगं  नौमि ते पदम् ।
अभयदायकं  नाम ते वरम्,
दशभुजे ! भजे देवि ! सादरम् ।। (८)
*
त्वमसि पावनी  पर्व तावकम्,
दशहरास्ति वै स्वस्ति-भावकम् ।
गिरिश-सङ्गिनी  गौरि ! मङ्गला
कुरु पदार्पणं  दीप्तमुज्ज्वला ।। (९)
*
शरणवत्सले ! शारदोत्सवे
स्मरणमेव ते  तापहं भवे ।
तव शुभास्पदे  भास्वरे पदे
प्रणतिरस्तु मे  देवि ! शं-प्रदे ।। (१०) 

(इति श्रीहरेकृष्णमेहेर-प्रणीतं दुर्गादेवी-दशकं सम्पूर्णम् ।)
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(छन्दोमञ्जरी-वर्णिता 'इन्दिरा' इति छन्दसा विरचितम् । 
भागवत-'गोपीगीतम्' अनेन छन्दसा प्रणीतमस्ति ।)

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As आवाहनी published in 'BARTIKA' Literary Magazine,
Dashahara Special Issue  2021, Dasharathapur, Jajpur, Odisha. 

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* ଦୁର୍ଗାଦେବୀ-ଦଶକମ୍ * 
ରଚୟିତା : ଡକ୍ଟର୍ ହରେକୃଷ୍ଣ-ମେହେରଃ

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ଜୟ ମହେଶ୍ୱରୀ  ବିଶ୍ଵତାରିଣୀ
ତ୍ବମସି ଦୁର୍ଗତେ-ର୍ଧ୍ବଂସକାରିଣୀ ।
କଲୁଷହାରିଣୀ  ଦୈତ୍ୟଦାରିଣୀ
ଜୟ ପରାମ୍ବିକେ ! ଧର୍ମଧାରିଣୀ ।। (୧)
*
ତ୍ବମସି ଭାରତୀ  ଭକ୍ତବତ୍ସଲା
ଜୟସି ପାର୍ବତୀ ସର୍ବ-ପୁଷ୍କଲା ।
ତ୍ବମସି ବୈଷ୍ଣବୀ  ଜିଷ୍ଣୁ-ବନ୍ଦିତା
ବିତର ସନ୍ମତିଂ ତ୍ବଂ ମହୋର୍ଜିତା ।। (୨)
*
ଭଗବତୀ ଶିବା  ତ୍ଵଂ ତ୍ରିଶୂଲିନୀ
ମହିଷମର୍ଦ୍ଦିନୀ  ସିଂହ-ବାହିନୀ ।
ଜୟସି ଭୈରବୀ  ଭୂରି-ବିକ୍ରମା
ସୁକରୁଣାମୟୀ ତ୍ବଂ ମନୋରମା ।। (୩)
*
ବୃଜିନ-ଭଞ୍ଜିନୀ  ମଞ୍ଜୁଲାନନା
ସୁଜନ-ରଞ୍ଜିନୀ କଞ୍ଜଲୋଚନା ।
ଜଗତି ପୂଜିତା  ଗର୍ବଗଞ୍ଜିନୀ
ଭବତୁ ତେ କୃପା ଶାନ୍ତି-ଶିଞ୍ଜିନୀ ।। (୪)
*
ଜୟସି ପାଲିକା ପୁଣ୍ୟ-ସତ୍କୃତାମ୍,
ତ୍ବମସି କାଲିକା ଘୋର-ଦୁଷ୍କୃତାମ୍ ।
ଜୟସି ଚଣ୍ଡିକା  ଚଣ୍ଡ-ମୁଣ୍ଡହା
ତ୍ବମିହ ଶାମ୍ଭବୀ ଦମ୍ଭ-ଦର୍ପହା ।। (୫)
*
ଧରଣି-ଶୋଧନେ ତ୍ବଂ ଧୁରନ୍ଧରା
ତବ ଶୁଭାଗମେ ଶୋଭିତା ଧରା ।
ଅଘ-ବିଘାତିନୀ  ରାଘବାର୍ଚ୍ଚିତା
ଭୁବି ବିଭାସି ବୈ  ଦିବ୍ୟଭୂଷିତା ।। (୬)
*
ଅହମିକାଙ୍କିତେ  ମାମକାନ୍ତରେ
ଦୁରିତ-ଶଙ୍କିତେ ପଙ୍କିଲୋଦରେ ।
ଭବତୁ ତେ ଦୟା-ବାରି-ସେଚନମ୍,
ଜନନି ! ମାର୍ଜନଂ ଭକ୍ତି-ସର୍ଜନମ୍ ।। (୭)
*
ହର ହରପ୍ରିୟେ ! ଦୁଃଖମାପଦମ୍,
ବିତର ସୌଭଗଂ ନୌମି ତେ ପଦମ୍ ।
ଅଭୟଦାୟକଂ  ନାମ ତେ ବରମ୍,
ଦଶଭୁଜେ ! ଭଜେ ଦେବି ! ସାଦରମ୍ ।। (୮)
*
ତ୍ବମସି ପାବନୀ  ପର୍ବ ତାବକମ୍,
ଦଶହରାସ୍ତି ବୈ  ସ୍ବସ୍ତି-ଭାବକମ୍ ।
ଗିରିଶ-ସଙ୍ଗିନୀ ଗୌରି ! ମଙ୍ଗଲା
କୁରୁ ପଦାର୍ପଣଂ  ଦୀପ୍ତମୁଜ୍ଜ୍ବଲା ।। (୯)
*
ଶରଣବତ୍ସଲେ ! ଶାରଦୋତ୍ସବେ
ସ୍ମରଣମେବ ତେ ତାପହଂ ଭବେ ।
ତବ ଶୁଭାସ୍ପଦେ  ଭାସ୍ବରେ ପଦେ
ପ୍ରଣତିରସ୍ତୁ ମେ  ଦେବି ! ଶଂପ୍ରଦେ ।। (୧୦)
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(ଛନ୍ଦୋମଞ୍ଜରୀ-ବର୍ଣ୍ଣିତା ଇନ୍ଦିରା ଇତି ଛନ୍ଦସା ବିରଚିତମ୍) 
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ଦଶରଥପୁର, ଯାଜପୁରରୁ ପ୍ରକାଶିତ "ବର୍ତ୍ତିକା" ମୁଖପତ୍ର, ମହାଦଶହରା ବିଶେଷାଙ୍କ ୨୦୨୧ ରେ 'ଆବାହନୀ' ରୂପେ ସ୍ଥାନିତ ।
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http://hkmeher.blogspot.com/2023/10/durgadevi-dashakam-devotional-song.html?m=1 

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Included in 'Svasti-Kavitanjalih' Gitikavya. 

Svasti-Kavitanjalih (Sanskrit Gitikavya): Link : 

Link : https://hkmeher.blogspot.com/2022/07/svasti-kavitanjalih-sanskrit-gitikavya.html

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Related Link : 

Contributions of Dr. Harekrishna Meher to Sanskrit Literature : 

https://hkmeher.blogspot.com/2013/04/drharekrishna-mehers-contributions-to.html

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https://hkmeher.blogspot.com/2018/09/literary-works-of-dr-harekrishna-meher.html

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Biodata: Dr. Harekrishna Meher : 

http://hkmeher.blogspot.com/2012/06/brief-biodata-english-dr-harekrishna.html

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Wednesday, September 20, 2023

Nuakhai Song * नूआंखाइ गीत * "Mangal Tihaar Nuakhai" : Dr.Harekrishna Meher

Nuakhai Song * नूआंखाइ गीत * 
"Mangal Tihaar Nuakhai" : 
Lyrics and Tuning by :  Dr Harekrishna Meher 
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* नूआंखाइ गीत * 
कोसली गीत-रचना एवं स्वर-रचना: 
डा. हरेकृष्ण मेहेर 
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आएला, मंगल् तिहार् नूआंखाइ गो, 

आएला तिहार् नूआंखाइ ।  

नूआं, खाएमुं खुसिर् गीत् गाइ गो,  

मंगल् तिहार् नूआंखाइ गो ।। (०) 
*

धरती मांआर् पूजा   करमुं शरधा भरि 

       चाषी भाइर् मन् उल्लास । 

गण परब् एभे      आसिअछे शुभे 

    मांआ भाइ बहेन् आस गो । 

      लक्ष्मी मांआर् चरने, 

करमुं पार्थना आनन्द मने गो । 

आएला तिहार् नूआंखाइ । 

नूआं, खाएमुं खुसिर् गीत् गाइ गो, 

मंगल् तिहार् नूआंखाइ ।। (१) 

*
घरे घरे सबे     केते मउज् करबे 

   पिठापना खीरि रन्धा । 

घर् दुआर् सजा   केते हंसि मजा 

  नूआं नूआं बस्तर् पिन्धा गो । 

    भाबर् डोरिने बन्धा, 

दु:खे सुखे सबे भाइ ददा गो । 

मंगल् तिहार् नूआंखाइ । 

नूआं, खाएमुं खुसिर् गीत् गाइ गो, 

मंगल् तिहार् नूआंखाइ ।। (२) 

*
इष्ट देबादेबी    पूजा संगे अर्पन् 

  करमुं नूआं अरन् आहार् । 

बुआ मांआ आरु   गुरुजन मानकर् 

  पादे आमर् भक्ति जुहार् गो । 

   बड़ु बड़मां दादा आई, 

  कका, काकी जेते बोहू भाइ गो। 

सबके, मुड़िआ पाशे थाइ । 

नूआं, खाएमुं खुसिर् गीत् गाइ गो

मंगल् तिहार् नूआंखाइ ।। (३)

बन्धुबान्धब् मानके  नूआंखाइ जुहार् 

     करि आशीर्बाद् पाएमुं, 

सान मानके आमर्   सेनेह शरधा 

     सेबा जतन् करुथिमुं गो । 

गाआंने सहरे नूआंखाइ, 

अछे, सबु हुर्दे भाब् छाइ गो,   

मंगल् तिहार् नूआंखाइ । 

जए, जए देबी समलाई मां, 

मंगल् तिहार् नूआंखाइ । 

भले, रखिथिबे महामायी मां, 

आएला तिहार् नूआंखाइ । 

नूआं, खाएमुं खुसिर् गीत् गाइ गो,  

मंगल् तिहार् नूआंखाइ ।। (४) 

 *

कृषि-परब् महान्   नबान्न नूआं धान्  

    सेबन् कर्बार् शुभ् लगन्, 

आमर् कृषिप्रधान्  देश् भारत् महान् 

   परम्परा चालिचलन् गो, 

 उछब्, मंगल् नूआंखाइ । 

खुसि, खेतुं नूआं धान् पाइ गो ।

मंगल् तिहार्  नूआंखाइ । 

जुहार्, माटि मांआर् कोले थाइ गो । 

मंगल् तिहार् नूआंखाइ ।। (५) 

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